________________
श्रुत्ग हर्षमुगगता V.65.18b
,, हर्षसमन्वितः I. 62.23b श्रुत्वाहं व वनं गृहे II. 29.9b श्रुत्वा हिमवतो वाक्यम् IV. II.24a श्रुत्वेई भगवद्वाक्यम् VII. 4.3c श्रुत्वेदानी शुभं कुर्याम् VII. 43 I0c श्रुत्वेन्द्रोवाच मा भैषीः VII. 35.43c श्रुत्वैतच्च वचो राम: IV. 8.4la श्रुत्वैतदाघवो वाक्यम् VII. 36.52a श्रुस्वतद्वचनं यन्मे II. 2.24a श्रुत्वैतद्वानरेन्द्रस्य VI. 50.26a श्रुत्वैतद्विजभाषितम् I. 8.13d श्रुत्वैतस्य पुरा शब्दम् IV. 1.25a श्रुत्वैव च वचो मह्यम् V. 36.34a ., , , , , 37.20a , चापि रामस्तम् II. 4.5c , तु महावीर्यः VI. 91.7a मुत्वैवं वचनं तस्याः II. 9.8a
, वदतां गिरिः VI. II7.1b ,, , वरः VI. 118.IIb श्रुत्वैवोपस्थितौ वीरौ II. 43.10a श्रुत्वोक्तं सीतया वचः II. II8.13b भुत्वोवाच महोदरः VI. 6.4.1d श्रूयतामभिधास्यामि I. 538c
II. 9.70 IV. 15.90
VII. 21.50 श्रूयतामस्य धनुष्यः I. 66.7c
91964 VII. 25.210 यत्फलम् I. 74.12b कर्तव्यम् II. 68.50 चामन्य I. I.6c चोक्त्वा वै II. I18.26c
सत्तम VII. 3.24d श्रूयतामिह वैदेह्या IV. 59.6a
श्रूयतामेतदाख्यानम् I. 4.32c भ्रूयतामेव वचनम् V. 50.1gc श्रूयतां क्रियता चैव IV. 15.23a , चाभिधास्यामि I. 51.16a , तत्पुरावृत्तम् I. 9.Ic ,, तत्र वक्ष्यामि IV. 59.24a. , त्वभिधास्यामि VI. I04.14a , धर्मवत्सल: VII. I05 12d
प्रतिदास्यामि VI. 104.14a प्रतिसंयुक्तम् VII. 18.2Sc
मे कथयतः IV. 58.18c ,, समाहिताः VII. 54.6d ,, हितं वच: VI. 85 1ob , यदि रोचते VII. I00 rob , रघुनन्दन VII. 50.17d ,, राम तत्त्वार्थम् III. 17.20a
राम वक्ष्यामि III. 72.IIa
,, शकस्य I. 54.14a , वचनं मम I 72.4b
वत्स काकुत्स्थ I. 24.17a
at walafas: VII. 30.11C ., विस्तरो राम I. 39.4a , सर्वमाख्यात्ये IV. 46.2c , VI. 3.7a
VII. 12.6a , सर्वमेव तत् VII. 257b श्रूयते च महाराजः I. 20.170 ,,, यथा भीमः VI. 83.2c , , रणाजिरे VI. 79.24d , चासमर्थानाम् IV. 40 49e ., जयतां वर IV. 27.27b
तलनिर्घोष II. 67.21c ,, तुमुलो महान् II. 7I.2Id , , युद्ध VI. 55.22a , दशनस्वनः VI. 92.23b
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org