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शूद्रायामस्मि वैश्येन II. 63.51a शूद्राश्चक्रुर्विशेषतः VII. 74.20d शूद्रांश्च मनुजर्षभ III. 14.29d शूद्रांश्चैव सहस्रशः I. 13.2od शूद्राः स्वकर्मनिरताः I. 6.1gc शूद्रोऽयं विनिपातितः VII. 76.15b शूद्रो वा सत्यवाग्भव VII. 75.18 f शून्य एव मतो मम III. 62.15b शून्यचत्वर वेदान्ताः II. 66.25c शून्य चत्व र वेश्मान्ताम् II. 42.23a शून्य देश जिगीषया IV. 10.11b शून्यमन्तःपुरं मम III. 62.11b शून्यमावसथं दृष्ट्वा III. 60.3c शून्यमासीन्महात्मनः I. 55.24b शून्यसंवरणरक्षाम् II. 88.24a शून्यं दशरथात्मजः III. 58.1b
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मनुजवर्जितम् VII. 79.3b शून्या आसद्विजोत्तम VII. 31.2d शून्यानि बहुधा पुनः V. 11.2gd शून्यामिक्ष्वाकुपालिताम् II. 77.18b शून्यामेव च पश्यामि VII. 46.16a शून्या रक्षोगणैः सर्वैः VII. 3.2ga शून्यारण्या हिमध्वरताः III, 16. 11c शून्या वर्षगणान्बहून् VII. 111.1ob
संप्रति लङ्का स! VII. 3.29c
सा नगरी लङ्का VII. 11.46a
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शून्यां पुरीं दुष्प्रसहां प्रमथ्य VI. 59.34c
शून्ये न खलु सुश्रोणि II. 13.21c
निहतराक्षसे III. 54.21b
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नापनीताऽसि V. 34.32a
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शून्येव प्रतिभाति मे II. 88.22b
VI. 92.11d
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शुन्ये वसति दण्डके III. 56.14d
सीतां यथासुखम् III. 36.20b
स्वजनवर्जिते VII. 89.5b
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शून्ये हि भित्त्वा रुधिराशनानि III. 63. Iod शून्ये त्यक्तोऽस्म्यहं त्वया II. 77.6d शून्योऽयमुटजस्तव III. 62.7b शून्योऽयं शयनीयस्ते II. 72.11a शून्यो लोको भविष्यति VI. 61.20d शूरत्वं कृतविद्यश्व VII. 62.17
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क्व नु वो गतम् VI. 82. 3d शूरभार्या हतां पश्य IV. 23.9a शुमक्षं निष्पिष्य I. 1. 750 शूरमानी खरात्मजः VI. 78.4b न शूरस्त्वम् III. 21. 170 शूरमैश्वर्यकामं च II. 100.29c शूरयोः संप्रयुध्यतो: VI. 102.44d शूर वक्ष्यामि ते किंचित् IV. 15.220 वाक्यान्तरे मम VII. 62.20d शूरश्च कृतविद्यश्व I. 41.2a
II. 13.9a
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शूरमानी च IV. 11.74a
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शूरसेना न संशय: VII. 70.6d
शूरसेनांस्तथैव च IV. 43.11b शूरं करुणवेदिनम् III. 64.54b
परिभवन्ति च VI. 16.4d
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,, ससुहृदं सुतम् II. 44.29b
शूरः क्रोधवशं गतः VI. 92.1gb
पञ्चत्वमागत: IV. 23.12b परबलार्दनः VI. 97.16b
शूरेण संगम्य VI. 92. ga श्रीमान्सुदर्शनः II. 10.31b समरकर्मणि IV. I1.23d
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स रावणभ्राता VI. 89.20 संप्रधनो हरिः VI. 96.18b सेनापतिस्तदा VI. S. 1d
शूराच्छत्रुनिबर्हणात् V. 26.41d
23
रामं पुन: पुन: V. 38.64b
शूरेण पातितम् IV. 19.23d
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