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________________ शरजालैर्महाबलौ VI. 89.28d शरणं काञ्चनं दिव्यम् IV. 41.36a गन्तुमर्हति VI. 19.3od तं प्रपद्यथ VII. 6.30d ते प्रदास्यामि I. 59.2c त्वां " " دو 33 " " در भत्र रामस्य II. 12. 360 वीराणाम् VII. 15.2c वः प्रपन्नोऽहम् I. 57.170 शरणागतवत्सलम् V. 21.21b शरणागतवत्सल: V. 21.2ob VII. 8.27d 39 शरणान्यशरण्यानि VII. 6.5a शरणाभिगताः सर्वे VI. III. Irra शरणार्थं शराहताः III. 25.3od शरणे निहतस्याद्य III. 2.24a शरण्यश्च महायशाः III. I. 18d शरण्यं रणतोषिणम् VI. 45.26b शरणं गतः VI. 19.5b गताः III. 10.4d 33 رو " رو " " " " " "" دو "" در 'पुनः प्राप्ता III. 21. IIc प्रपन्नाः स्मः IV. 52.210 वयं प्राप्ताः VII. 6.16c " "" शरणागतः I. 59.5d समुपस्थिताः III. 6.1gb सर्वभूतानाम् III. 1.3a "" शरण्यः परमा गतिः III. 65.1od शरणं गतः V. 38.33b पुर। IV. 4.20b सर्वभूतानाम् IV. 4.9a शरण्या दण्डका इमे III. 30.8d शरण्यान्शरणं गतः I. 57.17d शरण्या पुण्यकर्मणा III. 11.54d " "" "" चत्वाम् VI. 117.17c Gry: VI. 71.9c رد याता VI. 93. 16c Jain Education International ११२० शरण्या पुण्यकर्मणा III. 11.8rd शरण्यो धर्मवत्सल: IV. 4. 1gb शरतल्पगतौ वीरौ VI. 47.21a शरतल्पे गतासुवत् VI. 49.12d महात्मानौ VI. 50.3c " शरत्कालं प्रतीक्षस्व IV. 27.39a प्रतीक्षिष्ये IV. 27.44 " शरत्प्रतीक्षः क्षमतामिदं भवान् IV. 28.66c क्षमतामिमं भवान् IV. 27.470 शरदण्डां जलाकुलाम् II. 68. 15d शरदभ्रप्रतीकाशा VI. 69.36a शरदभ्रमिवाततम् V. 1. 71d शरदर्कसमद्युतिः VII. 4.26b शरदिन्दुनिभानना VI. 12.14b शरदिन्दुसमप्रभे VII. 31.33d शरदीव दिवाकरः I. 22.23b 2) प्रसन्ना द्यौः V. 9.40c शरदीवाम्बुजं फुलम् V. 44.8c शरद्वतो मेघ इवाल्पतोय: II. 44.31d शरद्गुणनिरन्तरः IV. 30.12d शरद् गुणाप्यायितरूपशोमा : IV. 30.38a शरद्वनं पवन इवोयतो महान् VI. 62.22d शरद्वयपाये हेमन्त - III. 16. Ic शरधारा विमुञ्चन्तम् VI. 106. 7a शरधारासमूहान्सः III. 27.8a शरधारास्ततो रामः VI. 99.231 शरध्वजधनूंषि च VII. 7.17b शरनिर्दग्धतोयस्य VI. 22.2a शरनिर्भिन्नगात्रास्ते VI. 52.7a शरन्मुखेनाम्बुज शेषचन्द्रा V. 360.470 शरपत्रैः सतोमरैः VI. 73.21b " 80.8b शरपाणिर्धनुर्धर: III. 24.12b शरवर्षो युधि राक्षसाम्बुदः V. 47. 18b शरप्रवेगं व्यहनत्प्रवृद्धः V. 48.270 " "" For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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