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वेदिस्थल विधानानि II. 56.33a वेदिं कृत्वा महातपाः I. 73.20d गतरवामिव II. 114.8d
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दक्षिणा चीम् VI. 111.114e तामभ्यवर्षताम् I. 19.6b राजानमेव च I. 73.35d
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वेदिः स्रुग्भाण्डमण्डिता III. 56.18b वेदिमिव परामृष्टाम् V. 19.14c
वेद वीक्ष्य समुक्षिताम् I. 30. 13b
वेदे लोके श्रुतः स्मृतः II. 24.28b
वेदेषु परिनिष्ठित I. 4.6b वेदैश्च ब्रह्मचर्यैश्च II. 12.84a वेदोपबृंहणार्थाय I. 4.6c वेद्मिराक्षसमेवैनम् V. 42.10
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रामात्परं न च VII. 97.16b
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वेद्येनं परमां गतिम् I. 51.14d वेद्यामग्निशिखामित्र II. 9.53d वेद्यामग्निशिखोपमा VII. 17.36d वेद्यामस्यां प्रतिष्ठितः I. 73. 16b वेद्यामिव हुताशन: VI. 19.41d वेधका रोचकास्तथा II. 83.13b वेधयायतनानि च II. 25.7b वेपते स्माधिकं सीता V. 25.5a वेपथुश्चास्य जायते III. 60. Id वेपने तोलने तथा I. 67. Iod वेपन्कथयतीवास्या V. 27.45c वेपन्तीं कुररीमिव VI. 49.9b
प्राञ्जलिं स्थिताम् I. 63.13b
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वेपन्त्याः सीतया तदा V. 25,9b वेपमान इवोवाच II. 116.c वेपमानमिव श्यामै: V. 56.300 वेपमानस्य भूतले II. 63.52b वेपमाना इव द्रुमा: VII. 5.13d कृताञ्जलिः VII. 26.28b
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१०९७
वेपमाना कृशा दीना II. 92.15c
च तं पतिम् II. 26.6b
तपस्विनी V. 21.2b
VI. 32.6b
पुन: पुन: II. 60. Ib
विचेतना II. 75.7d
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वेपमानां कृताञ्जलिम् I. 64.5b
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वेपमानोऽञ्जलिं कृत्वा II. 62.6c वेलातलनिविष्टेषु IV. 42.13a वेलामन्यत्र संप्लवात् VI. 22.15d वेलामासाद्य विपुलाम् VI. 4. 960 वेलामिव महोदधिः VI. 76.62d
118.16d
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वेलामिवासाद्य यथा समुद्र : VI. 109. 21d वेलामेत्य इवार्णवः VII. 8. Id वेलायां हरिपुङ्गव VI. 4. 1orb वेलावनमनुत्तमम् VI. 4.95b वेलावनमुपागम्य VI. 4. 105a विलासु कृतमर्यादम् VI. 21.23c वेलां प्राप्येव सागरः II. 67.37d ,, समुद्राश्चोत्क्रान्ताः VII. 6.54c स्वां नातिवर्तते II. 14.6d वेलोपान्तमुपागता: V. 35.68d वेश्म चान्यत्सुनिर्मितम् V. 9.1ob तत्सुविभूषिता II. 39. 18b
तद्रत्न संपूर्णम् II. 91. 360
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दुष्कर कारिण: II. 32.2d वेश्मनीव निवत्स्यते II. 44.12d वेश्म प्रज्वलितं यथा VI. 87.22d वेश्मानि प्रतिपद्यताम् II. 33.21d सुमहान्ति च II. 77.3b वेश्मान्यभिर्ददाह सः VI. 75.21b
तपस्विनीम् V. 56.67d
श्रमेणाद्य IV. 45.13a
समंतत: V. 24.15b
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