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________________ १०२८ वसतीति मया नित्यम् III. II.3ra वसतो ऋष्यमूक मे V. 58.138a. ,, दण्डकारण्ये III. 29.6a , , V. 33.30a ,, मम धर्मज्ञे IV. 60.9c , विजने वने III. 70.15b वसत्यत्यर्धयोजने I. 24.29d वसत्यरण्ये नियतः III. 5.35c , सह राघवेण II. 37.35d वस त्वं जनकात्मजे VII. 47.If वसत्विह भवान्सुखम् II. 51.22d वसन क्लिष्टवत्तरम् V. 15.47b वसनाभरणस्रजाम् II. II9.14d वसनाभरणोपेता IV. 27.19c वसनाभरणोपेताम् III. 49.I0c वसने भूषणानि च II. 55.17b वसन्त इति मेनिरे V. 14.Izd ,, इव मूर्तिमान् V. 22.29b वसन्तगुणवर्धितः IV. I.32d वसन्तपुष्पोत्करचारुदर्शनम् V. 8.8a वसन्तमासादपि चारुदर्शनम् V. 8.8b वसन्तं दण्डकारण्ये VI. 125.36c , निर्जने वने II. 36.7d ,, भ्रातुरर्थाय II. 88.28a ,, मुनिसंनिधौ VI. 126.54b , रावणं ततः VII. II.I2d वसन्तः कालकालेषु III. I0.5a वसन्ताग्निः प्रधक्ष्यति IV. I.30b वसन्ति नियताहारा: III. II.9Ic , मन्नियोगेन III. 36.4a. , सह योषितः IV. 43.50d , हि महात्मानः IV. 43.26a वसन्तीह दृढं भक्त्या II. 31.36a वसन्ती रक्षसां मध्ये V. 40.6c , रावणालये V. 35.66b वसन्ते इव शालिनः II. 67.28d , पुष्पशबला V. 10.46c , पुष्पितं मत्ताः VI. 24.37c , समनुप्राप्ते I. 12.IC वसन्तो यत्र मे प्रिया IV. 1.49b , यदि तत्रापि IV. I.47a वसन्तौ क्रधमीयतुः VII. 53.17b ,, दण्डकारण्ये III. 20.8c वसन्त्यग्निनिकाशानाम् IV. 42.21a वसन्यस्मशिलोचये II. 56.15b वसन्त्यस्मिन्महारण्ये II. IHO.I9c वसन्त्या राक्षसी मध्ये V. 26.5c वसन्माल्यवतः पृष्ठ IV. 28.1c वसन्रामस्तदा वने II. II6.1b वसन्वध्यो भवेन्मम IV. 40.70b ,, ,, 42.53b वसन्वै नगरादहिः II. 112.24d वसमाना महाबलाः III. 6.6b वस राम मया सह II. 54.32d ,, वा वीर भद्रं ते VII. I04.14 वसवो मरुतोऽश्विनौ VII. 27.22b ,, वासवं यथा IV. 26.36d , , ,, VI. 128.61d वसाचलेऽस्मिन्मृगराजसेविते VI. 27.18c वसाद्य सह मन्त्रिभि. II. 90.23b वसानं चर्म वैयाघ्रम् III. 2.6a वसानो वाससी क्षौमे II. 90 2c ,, विरजे वस्त्रे VI. 50.4-10 वसाम शुभदर्शन I. 26.33d , सर्वे यदि रोचते वः IV. 53.25d वसामि नियतः सुखम् I. 34.Iob , विगतज्वरः IV. 46.9d वसामोऽत्रैव सारथे II. 50.28d वसाम्युझान्तचेतनः IV. 5.22d वसाई रुधिरोक्षितम् III. 2.6b Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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