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राममुग्रीवसत्यं च V. 51.30c
" , , , 59.29a
" ,, ,, 65.18a राम सेनापतिस्तस्य VI. I.Ila ,, सौमित्रिणा सह III. 8.11b रामस्तदा लक्ष्मणमित्युवाच VI. 73.63d रामस्तथा सत्यवृत्तिः II. 82.6a रामस्तदा शक्रसमो महात्मा VI. 93.38b रामस्तस्य तु विज्ञाय III. 67.21a रामस्तं परिषस्वजे VI. I.I4b रामस्तान्वारयामास VI. 79.8c रामस्तिष्ठति सायुधः VI. 30. Ind रामस्तु दक्षिणं बाहुम् III. 4.5c ,, दुःखसंतप्तम् VI. I. IIC , परिसानव्याथ II. 97.Ic ,, पुनरालक्ष्य I. I.40a
बहुभिर्दृष्टैः VI. 41.93a भरते पापम् II. 8.32c भृशमायस्तः II. 20.8a मधुरं वाक्यम् I. 52.2IC मुनिशार्दूलम् I. 50.2a यदि पृच्छेन्माम् V. 30.13a
व्यथितं श्रुत्वा VI. 76.57a , सहसौमित्रिः II. 72.50c
, III. 8.ra ,, सहितो भ्रात्रा III. 7.la रामस्तूत्तरमब्रवीत् V. 65.4d रामस्तूत्थापयामास II. 20.33c रामस्तेनाकरोजटाः II. 52.69b रामस्त्वनेन वाक्येन II. 31.28a रामस्त्वश्रूण्य वर्तयत् VII. 44.17d रामस्त्वं विदितो मया III. 4.15b रामस्त्वात्मनि शङ्कत II. II6.4b रामस्त्वाश्रममासाद्य II. 54.9a रामस्त्वां बहुमन्यते V. 58.103d
रामस्य गदितं श्रुत्वा V. 65.6a ,, च मन:कान्ता V. 55.25c ,, ,, मनोगतम् VII. 95.01) ,, ,, महत्कर्म III. 2I.I0c ,, ,, महत्कार्यम् V. 58.16oc ,,, महात्मनः IV. 49.9d
महाबाहो: VI. 102.18c ,, ,, यथारूपम् V. 1551c
,, रता प्रियम् V. 13.3b चरितं कृत्स्नम् I. 2.32a
,, वने VI. I26.4d
च वने वासम् II. I2.5IC " , विवासनम् I. 3.13b
, , II. 72.40d ,, सखा देवि V. 34.35c
,, सुता ये स्युः VII. 51.9a ,, ,, हितं तदा IV. 43.2d - जनकात्मजाम् IV. 59.20b , तां मातरमेवमुक्त्वा II. 44 30c
तु परित्यागे II. 58.29 ,, पितुर्भित्रम् IV. 57.9c तुरगान्दीप्तैः VI. I07.15a तु वचः कुर्वन् IV. 26.38a ,, ,, श्रुत्वा II. I0.27a " ,, , , 39.la ,,, , , 40.32a
,, , VI. I8.35a ", , , 21.23a ,, विशालाक्षी III. 34.15a
,, विशेषतः II. 15.17b ,, त्वन्तरं प्रेप्सुः III. 46.8c , दक्षिणे पाN VII. I00.6a ,, दक्षिणो बाहुः III. 34.I4C
, , VI. 28.24c , ददृशे तदा III. 24.35d
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