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________________ ब्रह्मलोकं जलेश्वरः VII. 23.50b न गच्छामि III. 5.29c " निनीषति III. 5.28b प्रयास्यति I. 1. 97d ब्रह्मलोकमनुत्तमम् VII. 78.1od ब्रह्मलोकमिवापरम् I. 51.28d ब्रह्मलोकविहारिणीम् II 105.33d ब्रह्मलोकं व्यरोहत III. 5.4rd सनातनम् I. 34.4d VII. 79.11d "" " "" " "" ब्रह्मलोकं समक्षसे II. 52.86b ब्रह्मलोकादनन्तरे VII. 110.20b ब्रह्मलोकांस्तथापरान् II. 30.37b ब्रह्मवत्क्षत्रवच्चैव II. 52.78c ब्रह्मविद्भिर्महाभागैः III. r.ga ब्रह्मवेदविदामपि I. 65.23d ब्रह्मशत्रुस्तथापरः VI. 123.14b ब्रह्मशत्रोस्तथैव च V. 54.15d ब्रह्मशापभयाद्भीताः VII. 2. 14a ब्रह्मशापाभिभूतस्तु VI. 60.14a ब्रह्मशापाभिभूतोऽथ VI. 61. 24a ब्रह्महत्याकृतं तापम् II. 63.50a ब्रह्महत्या च वासवम् VII. 85.19b ब्रह्महत्यां ततो राम VII. 73. 120 ब्रह्महत्या नराधिप II. 64.55d महात्मनः VII. 86. 10b महात्मनाम् VII. 86. 12b ब्रह्महत्यामिवाधर्मात् II. 21.28c ब्रह्महत्यानृतः शक्रः VII. 84.3c 86.2c "" "" "" " " ब्रह्महत्या समाविशत् I. 24.1gb ब्रह्मा प्राब्रवीद्वचः VII. 36.20b ,, तुभ्यं वरं ददौ IV. 66.27b त्रिभुवनेश्वरः VII. 98.23b ब्रह्माणमनुगामिनीम् VII.96.11b د. Jain Education International ७५८ ब्रह्माणं बोधयन्त्यय II. 14.49c ब्रह्माणमिव वासवः I. 18.43b III. 7.13d .. " ब्रह्माणमिव शाश्वतम् II. 99.28b ब्रह्माणं याश्च भामिनी: II. 91. 18b वचनं ततः I. 15.5d "" 39 ब्रह्माणं वरदं ज्ञात्वा VII. 5.13a ब्रह्मा ब्रह्मविदां वरः VI. 117.3d 12b "" "" 33 "2 ब्राह्मणवत्सल: VII. 5.xsd ब्रह्मायं शंकरकार्मुकं च VI. 74.56c ह्मा लोकगुरुः प्रभुः VII. 110.18b लोकपितामहः I. 57.4d ور 6 29 " "" "" 32 22 33 "3 "" "" VII. 101.17d "" " "" सुरुचिरं वच: I. 63.2b " ब्रह्मास्त्रं ग्रसमानस्य I. 56.17a "" " "3 " लोकाधिपो यथा I. 18.36b वसति देवेश: IV. 43.55c सुरगणैः सार्धम् VII. 3. 16c 98.11c VII. 69.23b 110.3b चाभिमन्त्रितम् V. 48.40b समुदीरितम् V. 38.37b 23 ब्रह्मास्त्रेण च पालितः VI. 80.15b न्ययोजयः V. 67.12b समुदीरिते I. 56.15d "" ब्रह्मा स्वयंभूर्भगवान् V. 13.63a " स्वयंभूश्चतुराननो वा V. 51.44a ब्रह्माहं देवराडहम् VII. 6.6b ब्रह्मेदं वाक्यमब्रवीत् VII. 3. 13d ब्रह्मेव त्रिदशेश्वरम् II. 32.12d ब्रह्मशानाच्युतेशाय VI. 10.1ga ब्रह्मोपमा महात्मानः I. 34.20c ब्राह्मकर्तुं तदुच्यताम् V. 38.34d For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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