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________________ प्रत्याख्यातो गरीयसा VII. 11. Ird ध्रुवं मया VI. 92.46d भगवता I. 58.7c महात्मना VII. 87.20d वसिष्टेन I. 57.13 ور " , 21a 15 " प्रत्याख्यातोऽसि दुर्मेधः I. 58.2a प्रत्याख्यातोऽसि गुरुणा I. 58. 17C प्रत्याख्यातो हि भद्रं वः I. 57.18a प्रत्याख्यानं न जानाति V. 26. ga प्रत्याख्यानाच्च भीतैस्त्वम् VII. 9.8c प्रत्यागच्छन्महायशाः I. 47.20d प्रत्यागतात्मा सहसा सुरारि: VI. 70.60b प्रत्यागते महाभागे II. 24.34c प्रत्यागम्य च रामस्य II. 46.32c महात्मानम् II. 51.24c प्रत्याचीर्ण भविष्यति V. 13.47f प्रत्यादित्यं रुदन्ति VI. 35.33b प्रत्यादित्यं विनर्दन्ति VI. 23.70 प्रत्यादेशादभिहितम् II. 13.6c प्रत्यानयितुमिच्छसि II. 85.13d प्रत्यानेतुं कृतं भवेत् VII. 11.8d प्रत्याश्वसिहि शेष्वास्याम् II. 86.3c साध्वस्याम् II. 51. 20 प्रत्याश्वस्ते जने तस्मिन् I. 67.20a प्रत्याश्वस्तो महामतिः VII. 89. 15b यदा राजा II. 58.1a 35 23 در प्रत्याश्वस्य च राघवः VI. 125.41b मुहूर्त II. 87.3a "" प्रत्यासन्न क्रमेणापि II. 8.7a प्रत्याह प्रहसन्निव VII. 4.rrb प्रत्याहरतु तद्भवान् II. 206.14d प्रत्याहर मनो रामात् V. 24.30 प्रत्याह रामं दुर्वासाः VII. 105.12c प्रत्युक्तः प्लवगर्षभः IV. 65.33b Jain Education International ६९५ प्रत्युक्तश्च स्वयं स्वया VI. 33.5d प्रत्युक्तो हेतुमद्वाक्यैः IV. 19.1c प्रत्युज्जगाम सहसा I. 50.7c संहृष्टः I. 18.43a 23 प्रत्युत्तीर्य स राघवः II. 103.28b सरित्तात् II. 103.31b " प्रत्युत्थानं च सर्वतः II. 100.67b प्रत्युत्थाय कृताञ्जलिः I. 72.14b VII. 1.13b प्रत्युद्गच्छत्तपस्विनम् VII. 33.6d प्रत्युद्गच्छ रथं रिपोः VI. 106. 11b प्रत्युद्गम्य च काकुत्स्थः VII. 100.şa ततः कपिम् VI. 96.2od मुनिं प्रह्नः I. 10.30c प्रत्युययौ तदा रामम् VI. 127.20 प्रत्युवाच कृताञ्जलिम् IV. 39.1d कृताञ्जलिः I. 16.17b 71.1b VII. 62.1b जनः सर्वः II. 79.14c ततः क्रुद्धः II. 13.4c शनै: V. 21.1d " "" در "" ار " 33 "" 22 در " "" " „ " " در "} " "" >> " " "" "" "" For Private & Personal Use Only " " "" 32 " " VI. 113.45C 93 ततो द्वाःस्थम् VII. 1. 12c धीरा II. 74.21c " ,, रामम् III. 29.15c IV. 18.45a "" राम: VI. 59.26a वाक्यम् II. 45.35c IV. 4.3c " श्रीमान् II. 107. IC सर्वान् IV. 52.1ga सातु VII. 56.16a सीताम् III. 56.24a V. 22. IC "" 33 " www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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