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________________ प्रगृह्य रक्षांसि महायुधानि VI. 41.99c ,, रामो बाहू वै II. I03.3a ,, रुचिरौ भुजौ III. 61.2d ,, लक्ष्मणं शक्रः VII. I06.17% , लघुविक्रमः VI.96.21b ,, विपुलं शैलम् VI. 54.2IC ,, विपुलां घोराम् VI. 97.12a ,, ,, दोभ्याम् I. 16.15c , विपुलान्भुजान VI. II7.5b विपुलां शिलाम् VI. 52.26d ___ , , , 76.42d " , " , 96.22b ,, विपुलाः शिलाः VI. 97.8b वेगात्सहसोन्ममाथ VI. 74.63d , शरमुग्रं च I. 74.19c ,, शस्त्राण्युदितोप्रतेजसः IV. 13.30b , शिरसा पात्रीम् II. 6.2a ,, स महाबल: VI. 67.34b सशरासनम् VII. 7.3f ,, सहसा सीताम् VI. 126.27a ,, सुमहच्छृङ्गम् VI. 81.8c ,, सुमहाभुजी III. 4.Id ,, सुसमाहितः VI. 76.38b प्रगृह्याभ्यहन द्देवम् VII. 8.15c प्रगृह्याशु परश्वधान् V. 24.16b प्रगृह्याशोभत तदा III. 3.14c प्रघसः प्रत्यपोथयत् V. 46.35b प्रघसं भासकर्ण च V.46.2c ,, वानराधिप: VI. 43.24d प्रघसेन सुसंगतः VI. 43.10b प्रघासः प्रघसश्चैव VI. 81.12c प्रचकर्पश्च सागरम् VI. 22.51d प्रचकाशे तदाकाशम् VI. 22.9a प्रचकाशे न किंचन II. 4I.I3d प्रचक्रमुस्तद्भवनम् II. 34.12c | प्रचक्रू राक्षसेन्द्रस्य VI. III.I4a प्रचचाल च वेगेन VI. 24.2a , मही चापि III. 23.16a ,, वसुंधरा VI. I06.25b प्रचण्डचापोऽद्य वनेषु कामः IV. 30.56d प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते VI. 105.18d प्रचरन्ति ततस्ततः I. 34.18b ,, पृथक्कीर्णाः III. 73.36c ,, समन्ततः II. IIg.8b प्रचरन्राक्षसो भूमौ VI. 67.129c प्रचरिष्यन्ति वानराः V. 13.34d प्रचरेत नरः कामात् IV. 18.23a प्रचल्य चरणोत्कर्षेः III. 56.2gc प्रचस्कन्द विनाशाय II. II.22c प्रचरज्ञश्च कर्मणाम् V. 35.12d प्रचरन्ताविहागतौ IV. 2.6d प्रचरं स तु संगृह्य VII. 35.49a प्रचिक्षेप त्वरन्मुखे VI. 67.95d प्रचिन्तय यदुत्तरम् V. 39.3d प्रचुक्रुशुमहात्मानम् VI. 19.27c प्रचुकशुर्महात्मानः IV. 26.37c प्रचुक्रुशुः स्त्रियः सर्वाः VI. II6.32a प्रचुक्रोध नरान्तकः VI. 69.87b प्रचुक्रोश जनः सर्वः II. 38.Ic प्रचेतसोऽहं दशमः VII. 96.18a प्रचेताः पुलहस्तथा III. 14.8d प्रचेतास्तेजसा वृतः VI. 24.18. प्रचोदय रथं द्रुतम् VI. I06.12d प्रचोदयामास ततस्तुरंगमान् II. 46.33c , रथम् VI. I06.14c , शितैः शरैस्त्रिमिः V. 47.10d , हयान्स सारथिः VI. I04.27b प्रचोदितः स समयः II. 26.22c प्रचोदितस्तयैवोग्रैः III. 59.6c प्रचोद्यमानेन मया III. 59.9a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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