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________________ वे यत्र राघवौ IV. 3. 1d वार्णवम् I. 1. 72d वृक्षवाटिकाम् V. 14.4d स महाकपिः V. 1. 67d 6.18d 2ob 22d " 54.1ob पुमान्य राघवं रणे III. 59.14d पुमांसं पापनिश्चयः I. 2. 1ob पुरं चक्रे महोदयम् I. 32.6d च राष्ट्रं च निहत्य बान्धवान् II. 12. 106c | पुरं सर्वं सचत्वरम् V. 53.5b " मही च केवला II. 34.55a " " "" "" "3 " " " " 33 "" " " " 33 3) " " "" " " Jain Education International " " " सपरिच्छदम् II. 37.26d " " चाप्रतिमं राम VII. 79.17c चेदं गमिष्यति II. 37.25d जनपदास्तथा VII. 99. rad 39 पुरं तदासीत्पुनरेव संकुलम् II. 57.34d دو رو पुरतश्च प्रतस्थिरे II. 80.3d पुरंदरपुरोपमाम्II. 14.2gb पुरंदर मित्रासीनम् V. 37.25c पुरंदररथध्वजम् VI. 107.9b पुरंदररथोचित: VI. 106. 13b पुरंदरसमो वीर्य II. 2. 11c पुरंदरसमं बले VII. 19.7d पुरंदरेणेव मही सपर्वता II. 41.20b पुरंदरः स्वरिव यथामरावतीम् VII. 11. 5od पुरं देवपुरोपमम् VII. 55.5b पुरद्वारं ततः श्रीमान् V. 53.36c पुरद्वारेऽवतिष्ठसे V. 3.26b पुरं परमपीडितम् II. 40.34d पुरः प्रधानैश्च तथैव सैनिकैः II. 104.29b पुरं प्रविश्यापरीतनेत्रा II. 76.23c पुरः प्रहसिता सीता III. 58. roc पुरमध्ये गृहोत्तमे V. 18.30d ६६७ पुरमाकाशगं प्रादात् VII. 4.30a पुरमानाययिष्यामः I. 10.4c पुरमासीन्महास्वनम् II. 40.1gd पुरं यत्र तिमिध्वजः II. 9. 12d राजगृहं गत्वा II. 68.6a पुरोधस्य मूलं तु VI. 65.45a पुरवर्यामितः क्षिप्रम् II. 11.1&c पुरवासिजनश्चायम् IV. 25.46c पुरं संपद्यतां वनम् II. 33.22d "2 पुरःसरा राक्षसानाम् VII. 6.6oa पुरःसरैः स्वस्तिकसूतमागधैः II. 16.46b पुरस्कृत्य गमिष्यामि II. 79.roc द्विजोत्तमान् I. 18.5d " नृपात्मजौ VI. 12.24b पुरोधसम् VII. 63.12d महर्षयः VII. 6.11b 60.4b ""> रथे सीताम् II. 43.12 शतक्रतुम् VI. 50.47d पुरस्कृत्याङ्गिरः सुतम् VII. 100.20b पुरस्कृत्वा द्विजर्षभम् I. 11.27b पुरस्तात्कुम्भकर्णस्य VI. 60.33c पुरस्तात्तस्य ते ययुः VI. 111.111b " वीरस्य V. 3.22a पुरस्तात्तापसाश्रमे II. 116.2b पुरस्तात्पुष्पितद्रुमः III. 73.3rd पुरस्तात्प्रतिवेदितम् IV. 33.2gb पुरस्तात्प्रययौ राज्ञः VII. 33.7c पुरस्तात्संप्रतस्थिरे II. 80.5d VI. 11.5d " د. " " " "" ލމ "" पुरस्तात्समदृश्यत VII. 52.4d पुरस्तादतिकायस्य VI. 71.47c पुरस्तादभिसेवितम् VI. 21.4b पुरस्तादिह वातापिः III. 43.41a For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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