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________________ कार्य सर्वात्मना लिह V. 58.142b स्याद्वसुधाधिपैः III. 33.18d हरिभिराहवें VI. 37.33b कार्यं हि महदुतम् I. 11.20b कार्यशेषमचिन्तयत् V. 54. 1d कार्यशेषमनन्तरम् II. 68.11b V. 58.109d कार्य सर्वस्वघातिता V. 55. 14d कार्यसिद्धिकराण्याहु: IV. 49.6c कार्यसिद्धि पुरस्कृत्य VI. 37.5a कार्यसिद्धिरिवात्मनः V. 37.44d कार्यसिद्धिनुमति V. 63.200 कार्यविरभिषेक II. 28.15a कार्यस्य गौरवं मत्वा VII. 60.17c न विमर्श च I 18.57c 12 " ور " "" 33 कार्यस्यास्य निवेदनं V. 6.19f " प्रियं भवेत् IV. 42 56d farafa IV. 65.17d विनश्वये III. 40.8d विवृद्धये III. 40.24b कार्यहेतोरिहायातः V. 3562a कार्याकार्य न जानन्ति III. 30.15C कार्याकार्यजानतः II. 21.13b कार्याकार्यावचक्षणः I rog.b II. 100.27d कार्याकार्यवस्थितः IV. 18.53d कार्याणां कर्मणा पारम् VI. 88.130 गतयोऽनघ IV. 3.34d राक्षस त्वया VI. 88.13b कार्याण्येवंविधानि हि II. 4.24d कार्यार्थं मम संभवः VII. 104.18b कार्यार्थिनश्च पुरुषाः VII. 53.5e 23 "2 +2 د" او ܕ ܕ परसादने V 56.11b परिसाधने V. 39.28b V. 68.11b " Jain Education International २०३ कार्यार्थिनां विमर्दो हि VII. 53.24C कार्ये कर्मणि निर्वृते V. 41.5a कार्येण हि महाबल: VII. 103.2d कार्येषु च न मुह्यति V. 36.16b कालक्ष्म्या विपर्यये II. 22.2gb कालः कर्षति वानर IV. 25.43b कालका च महाबाहो III. 14.14a कालकापि व्यजायत III. 14.17b काल: कालमहावक्रः VI. 71.220 कालकूटं विषं पीत्वा III. 47.400 कालकेया इति ख्याता VII. 24.28a कालकेयैरधिष्ठितम् VII. 23.17b कालं कालविदां वर IV. 32.13b चर: IV. 35.8b गतमपि स्नेहात् VII. 102.15d चिरं गोपुर वेदिमध्ये VI. 40.16b तत्रावसत्कंचित् VII. 86.3c दृष्ट्वा तथा क्रुम् VII. 22.6c नाम महासानुम् IV. 43.14c "" " "; " " कालं परमदुर्मनाः II. 87.3b | कालक्रमसमाहिताः IV. 25.8d कालचक्रनिभं चक्रम् VII. 7.43a कालचक्रं तथैव च I. 27.5b कालचकमित्र प्रजा: VI 93.2gd कालचक्रमिवान्तकः IV. 16.33d कालजिल्हा प्रकाशाभिः VI. 71.14a कालज्ञो रक्षसां वरः VI. 89.7d राघवः काले VI. 41.2 c कालदण्डममोघं तु VII. 22.320 कालदण्डमित्रान्तक: VI. 71.85d कालदण्डमिवापरम् I. 56.2b कालदण्डस्तु पार्श्वस्थः VII. 22.5a कालदण्डोपमां गदाम् VII. 14.14b VII. 27.48b "" कालदण्डो मया सृष्ट: VII. 22.42c "3 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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