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धनुष्मानिषुमारथी II. 63.20b धनुष्मान्हरिलोचनः VI. 7I.I2b धनुष्यथ पुनर्व्यग्रम् VI. 89.44c धनुस्तस्य दुरात्मनः VI. 58.44b धनुः काञ्चनभूषितम् VI. 32.17d ,, कालान्तकोपमम् IV. 31.11b ,, परपुरञ्जयम् I. 75.13d
, ,, 21d परमभास्वरम् I. 66.25d प्रवरपाणयः VI. 73.10d
प्रवरपाणिनौ V. 35.27d , शक्रधनुःप्रख्यम् V. 44.3a ,, शतपरिणाहः VI. 65.41a ,, समुद्रादुर्भूतैः VI. 95.14c धनूरत्नं महात्मनः I. 66.12d धनू रुद्रस्तु संक्रुद्धः I. 75.20c धनूंषि कृत्वा सज्जानि VII. 23.4la ,, च विचित्राणि VI. 58.8a ,, चास्य सज्जानि VI. 7I,I5a धनेन दर्पण बलेन चान्वितः III. 33.24c धनेषमिव गुह्यकः VII. 37.20d धनेशस्तूत्तरां दिशम् II. I6.24d धनेशः पितरं प्राह VII. 3.22a धनेश्वरस्त्वथ पितृवाक्यगौरवात् VII. II.50a धनैर्वा परिवर्जितः II. II7.24b धनैश्च संचयैश्चान्यः I. 6.30 धन्यमारोग्यवर्धनम् I. 16.19d धन्यस्त्वमसि सुव्रत VII. 75.15d धन्यस्त्वं न त्वया तुल्यम् II. 85.12a धन्या देवाः सगन्धर्वा V. 26.37a ,, द्रक्ष्यन्ति ये सुखम् II. 64.71b ,, , रामस्य II. 64.70a , रामादयः सर्वे II. 72.29c ,, लक्ष्मण सेवन्ते IV. I.104c धन्योऽस्म्यनुगृहीतोऽस्मि I. 47.22a ४५
धन्योऽस्म्यनुगृहीतोऽस्मि I. 50.14c
,, 65.3Ic III. 13.10a VII. 59.7c
, 82.7a धन्यो राजा च सुग्रीवः VII. 39.24c धन्यं यशस्यमायुष्यम् I. 44.21a धन्यः खलु भवान्येन VII. 18.IIc
, , महाभागः II. 88.20a धन्यः पुण्यस्तथैव च I. 37.31d धन्याः खलु महात्मानः V. 26.45a
" , , , 55.3a ,, पश्यन्ति मे नाथम् V. 25.16c धन्वना नागवृक्षाश्च III. 73.4a धन्विनामभिकाङ्क्षिताम् II. 49.16d धन्विनो विविधायुधाः II. 83.4b धन्विनौ तौ सुखं गत्वा II. 54.8a
,, वानरर्षभः V. 35.27f धन्विनः खगिनश्चैव V. 4.18a धन्वी तिष्ठति राघवः VI. 24.3rd ,, त्वं रथमास्थितः VI. 71.6ob ,, रथस्थोऽतिरथोऽति वीरः VI. 59.16b , विश्राव्य राक्षसः VI. 96.14b ,, संनहनोपेतः VI. 33.I0c धरणी दारयिष्यामि IV. 45.14c धरणीधरसंकाशः VI. 86.18c धरणीं प्रकृतिर्गताः VII. I07.10b धरण्यां गतसत्त्वेव II. 60.1c धरण्या न प्रयोजनम् I. 14.49d धरण्यां निपपाताशु II. 57.32c ",, पतितं सौम्य III. 64.43c ,, पतितस्य च I. 14.57b ,, पावकोपमाः III. 3.12d
, पुत्रदर्शने II. 42.2d धरण्यामल्पचेतनाः VI. 17.9d
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