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तस्य तद्वचनं श्रुत्वा VII. 2. Ta
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तं निश्चयं ज्ञात्वा VII. 29.10a ,, त्वं रथमास्थाय VI. 43.22a ,, तल्लोकनाथस्य VII. 56.1ga
तस्थुतुरभ्याशे VI. 76.16c तस्मिन्वने पुत्रः IV. 48.12c
तस्य पृथक्पृथक् I. I7.20b ,, तं स्वरमाज्ञाय VII. 53.13a ., ता दुःखिताः स्त्रिय: VI. IIO.I7b ,, तापस्तपेच्च माम् II. 22.Tod ,, तां पार्थिवेन्द्रस्य VII. 65.39a ,, ,, बुद्धिमक्लीबाम् VII. I08.16a ,, ,, सहसा शाखाम् III. 35.2gc ,, तासु मतिं ज्ञात्वा VII. 25.I7c ,, तीक्ष्णनखाभ्यां तु III. 51.6a , तीर्थेषु रम्येषु IV. 40.34a , तुष्टोऽभवद्राजा VI. 31.10a ,, तुष्टोऽभवन्मुनिः I, 2.19d
ते काननान्तांस्तु IV. 48.14C
तेजोवलं महत् VII. 2.2b .. ते त्रिषु लोकेषु VI. 20.26a
ते देवदेवस्य VII. 69.29c ,, तेन प्रतिज्ञातम् V. 51.9a , ,, प्रहारेण VI. 70.13e
तस्य तेन प्रहारेण VII. 15.14c ,, ते युद्धकामस्य VII. 68.17a ,, ,, रथसंयुक्ता: VI. 78.18a ,, ,, विग्रहे ताभ्याम् V. 21.32a
,, वीरकार्यस्य IV. 65.34a
त्वनन्तरं जातः VII. 9.34a. ,, त्वं कुरु वै कार्यम् IV. 29.18a
,, दातुमर्हसि V. 40.17d ,, ,, राक्षसेन्द्रस्य V. 23.8c ,, , , , , IIa , त्वाताम्यमानस्य II. 63.52c ,, विदानीं श्रुत्वा मे VII. 13.38a
त्वेवं ब्रुवाणस्य IV. 63.8c ,, , , VII. 80.7a ,, दक्षिणमन्वागात् II. 42.4a ,, दर्प बलं यत्नम् I. 54.16c ,, दर्शनजः शोक: II. 64.67c ,, दाशरथेः पार्श्वे VI. 4. 40c ,, दीक्षा समाप्ता हि VII. 76.17a ,, दुःखं महच्चासीत् VII. 87.16c ,, दुर्बुद्विता राजन् V. 58.II4a ,, दुष्प्रतिवीक्ष्यं तत् II. 23.3a , दृष्ट्वा मुख देवि VI. 33.22a
देवप्रभावस्य III. 5.4a देवर्षयः सर्वे VI. 35.IIa देववती नाम VII. 5.2a देवसमानस्य II. I04.IIa देशस्य निखिलम् I. 34.24e
देहं महात्मनः IV. I7.4b , द्रक्ष्यसि तत्फलम् V. 34.32b ,, धर्मकृतादेशाः IV. 18.ga ,. धर्मात्मनः पत्नीम् V. 22.1ga ,, धर्मात्मनो देवि II. 12.22a ,, धर्मार्थविदुषः II. 2.19a , धर्मे कृतात्मनः II. 12.23b
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