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________________ ततो देवाः सगन्धर्वाः I06.Iga " " , I07.48a , , ,, VII. I7.10a ___ , , 22.17a ,, VII. III.3a ,, देवासुराः सर्वे I. 45.27a , देशस्य सुप्रीतः I. 24.22a ,, दैवतसैन्यानाम् VII. 27.25a ,, दोषेण मा गच्छेत् IV. 14.13a ,, द्रक्ष्यथ वानराः IV. 40.51d , द्रश्यसि राघवम् II. 92.14b ,, द्रक्ष्यामि रावणम् VI. 60.79d ततोद्रिकूटाचलमेघसंनिभम् II. 15.48a ततो द्रुतं रावणवाक्यचोदितः VI. 104 27a , द्रुमशिलाहस्ता: VI. 76.59a ,, द्वादशमे वर्षे VII. 7I.la ,, द्वापर संख्या सा VII. 74.22c ,, द्विगुणमायतम् VII. 13.3d ,, द्विजा वसिष्टेन VII. 74.3a ,, द्विजास्ते धर्मज्ञम् I. 12.21a , द्विविदमैन्दाभ्याम् VI. 128.87a ततो द्यां पृथिवीं चैत्र VI. 46.1a ततोऽद्यैव गमिष्यामि II. 19.25c ततो धनुषि संधाय IV. 16.33a ,, धरणिमागता I. 43.15d ,, धर्मे विनष्टे तु VII. I06. I0a ,, धान्यधनोपेतान् VI. 50.8a ,, धारशताकीर्णम् VII. 23.25a , धैर्यमवष्टभ्य VI. 85 2a ,, ध्यानमुपागमत् VI. I.Id ध्वजमुपागम्य III. 23 4a ,, न कृतवान्बुद्धिम् IV. 12.20a , नगर्याः सहसा महौजाः VI. 59.10a ,, नदीगुहाश्चैव VII. I4:30c , नरेन्द्र संकाशैः IV. 39.10a ततो नष्टप्रभः सूर्यः VI. 95.43a ततोऽनसूया संहृष्टा II. II8.13a ततो नानाप्रहरणाः VI. 55.6a ,, नानाप्रहरणान् VII. 28.13a ,, नान्दीमुखी रात्रीम् II. 81.1a ,, नारायणेनोक्ताः VII. 6.32a ,, नारायणो विष्णुः I. 16.ra ,, नालीकनाराचैः III. 25.25a , , 28.10a , , 51.4a ,, नाहमितो व्रजे IV. 12.27d निकुम्भिला नाम VII. 25 2a निकुम्भो रभसः VI. 9.ra निक्षिप्तभारोऽहम् II. II5. Iga , निक्षिप्य काकुत्स्थः VII. I03.Isa , , मातृस्ता: II II5.ra .. नित्यानुगस्तेषाम् ,, I03 22a ,, निपतितां ताराम् IV. 21.ra निमीलिताः सर्वे , 52.28c निरीक्ष्यात्मगतानि राघवः VI. I06.36a ,, निषूय सहसा II. 35.1a ,, निविष्टां ध्वजिनीम् II. 84.1a ,, ,, ,, VI. 20.1a ,, निवृत्ताः सुखिनो भविष्यथ IV. 40.7Id ,, निवेदयामासुः VII. 62.2c ,, निश्चित्य मथनम् I. 45.18a निषादाधिपतिः II. 52.770 निषादाधिपतिम् ,, 50.35a निष्पततो युद्ध VI. (95.4ha निहतनाथानाम् V. 26.20a निहत्य तरसा V. 35.50a नीत्वा तु तं देशम् IV. 58.34a ,, नीलाम्बुदप्रख्यः VI. 8.ra ,, नीलो ननाद च ,, 59.78d । ततोऽनुद्रान्तशकुनाम् VII. 32.10a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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