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________________ २८९ चकार सुनिरन्तरम् VI. I07.20d , सुमहत्तपः VII. 3.IId ,, सुमहद्रूपम् V. 42.4c ,, सुमहद्वपुः III. 49 Id सुमहाकपि: VI. 82.8b सुमहाबलः III. 15.20d " , ,, I5.23b , सुर साऽप्यास्यम् V. I.15-1c ,, सुसमाहिता I. 49.18b ,, हनुमान्वेगम् V. 45.IIC चकारातिबलोद्धतः III. 3.24d चकारान्ताय स रिपोः III. 28.20C चकाराप्रति मं !म I. 65.2c चकाराप्रतिमा ले के I. 6.1.200 चकाराप्रतिरूपा सा VI. 9-1.10c चकाराभिप्रदक्षिणम् I. 16.22d चकारावाहनं तत्र I. 60.ua चकारास्त्रं गुदारुणम् VI. 90.Sb चकाशे कपिपुर: V. 6.3d चकास सहलक्षण: V. 27.13b चककृत्तास्यकमला: VII.7.47a चककृत्तास्यकमलान् VII. 6.Ira चक्रचापनिभे चापे IV. 3.9c चक्रचापनिभं चापम् III. 34.6c चक्रतुः प्रथमं तदा VI. 90.30b चक्रतुर्नरराक्षसो VI. 88.64d चक्रतुयुद्धमुत्तमम् V. 48.32d , VI. I07.28bचक्रतुश्च प्रदक्षिणम् IV. 5.I:d ,, शरैर: VI. I07.26c चक्रतुश्चैव यच्छेषम् II. 3.21a चक्रतुः समरे तीव्रम् VI. 76.32e ,, सुमहाप्लवम् II. 55.14b चक्रतुस्तुमुलं घोरम् VI. 88.72a चक्रप्रहारैर्विनिकृत्तशीर्षाः VII. 7.53a. १५ चक्रमाली च राक्षस: VI. 89.14b चक्रयोरिव चान्तरा II. 40.46d चक्रवाकगणाकीर्णाः IV. 30.59c चकवाकयुगस्तनीम् VII. 31.22b चक्रवाकयुता नित्यम् IV. 1.65a . चक्रवाका इवाभवन् V. 9.49d चक्रवाकानुचरिता: VI. 4.83a चक्रवाकानुचरिताम् IV. I.98c चक्रवाकांश्च भद्रं ते III. 14.20a चक्रवाकीव भर्तारम् IV. 30.65a चम्याकैरलंकृतम् II. 83.21b चकवाकैरलंकृता IV. 27.20d चक्रवाकैः सकारण्डैः VII. 31.2Ia चक्रवाकैस्तथा चान्यैः IV. 13.8c चक्रवाकोपशोभितम् VII. 77.4d चकवाकोपशोभिताः III. II.39d V. 9.50b ,, V. 11.24b ,, VII. 42.IId चक्रवाके पशोभिता III. I5.13b चक्रवाकोपशोभिताम् II, 50. Igb चक्रवान्नाम पर्वतः IV. 42.27b चक्रसंभूतरजसा VI. I06.15c चक्रहस्तो यथा युद्धे III. 24.22a ,, ,, विष्णुः III. 23.29a चक्राक्षयुगदण्डैश्च VI. 43.44C चक्राणि तु स राघवः VI. I00.9b ,, मुसलानि च VI. 31.23b ,, , ,, VI. I07.17d चकाम राक्षसेन्द्रस्य VI. 41.88c चक्राशनिस्पर्शवपुःप्रकाशम् VI. 59.40b चक्रासिशाङ्गमयुधशङ्खपाणि: VII. 6.68d चक्रिरे न क्षतं क्वचित् VII. I9.21b चक्रुः कर्माण्य नन्तरम् II. 66.14d 1, कर्माण्य गीतवत् VI. 52.6d Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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