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साधु साध्विति तत्तदा VII, 9.36f .. , तं देवाः I. 24.23c , , तावूचुः I. 4.16a
ते सर्व I.34. I0c तैर्देवैः VII. IIO.150 देवस्ताम् I. 49.20a देवानाम् I. 73.28c .. नेदुश्च VI. 44.31c भूतानि III. 53.20c
, V. I.16.c
.. VI. 79.36 , रामस्य VI. 93.35c , वागय्या VI. I08.29c
,, वै सीते VII. 97.2IC ,, ,, शंसन्तः I. 48.10c
संहृष्टाः V. 62.5a ,, ,, सुग्रीवन् IV. 26.30c ,, , सुप्रीता: VI. 101.45c ,, सा विनिवेशिता VI. 5.1d ,, सीतेति चापरे VII. 96.13b , रोन्या: प्रतिष्ठन्ताम् II. 93.2011 ,, सौम्या निवर्तध्वम् VI. 66.6a साधुः सत्यपराक्रमः III. 37.13b साधूनां गुणवर्तिनाम् II. 82.10d ,, च समागमे I. 4.Ib
, चानुयायिता II. 90.20d साधूनामुपकारज्ञः V. 35.12c साधूनां झुभयं समम् VII. I06.13d साध्यानामपि पञ्चमः VI. II7.8b साध्या मरुद्गणाश्चैव VII. IIO.I3c साध्याश्च देवाः सर्वे ते VII. 97.8a
, वैश्वानरचन्द्रसूर्याः VI. 73.7b साध्यांश्च समरुद्गणान् VII. 27.4b माध्वत्र निवसावहे IV. 27.25d
, प्रविशामेति IV. 52.13a
साध्वयं कुशिकाम: I. 3.17)
. यातु सौमित्रिः VI. 85.10c साध्वर्थमभिसंधाय II. I06.1.a साध्वी करुणमास्थिता V. 59.21d । साध्वीति वादिनः पुष्पैः VII. 32.65c साध्वीनां तु स्थितानां तु II. 3.0.21
,, विनयस्य च V. 38.21 साध्वी महिर गता IV. 1.51d , यज्ञसमृद्धिईि I. 50.20
, साध्वभ्यभाषत IV. I. C सावनमाधरोहन्तु V1. 67.I.Sa सा नदी न शशंस ह III. 64.9d ,, ननाश मुहूर्तेन VI. 57.40a ,, न प्रतिनिवर्तते II. I05. IOD , निकृत्तेव सालस्य II. 20.3%a ,, निःश्वसन्ती शोकार्ता V. 25.10a सानुकरं सकूवरम् VI. 6t).2f) सानुकों महारथः VI.71.101) सानुक्रोशश्च राघव: V. 26.1) सानुक्रोशं जितेन्द्रियम् II. -19.hd
, , VI. 122.6] सानकोशा तपस्विनी IV. 55.15d
,, दृढव्रता VI. 33.3d सानुक्रोशां वदान्यां च II. 78.15a सानुक्रोशाः प्लवङ्गमा: IV. 20.39b सानुकोशो जितक्रोधः II. I.I5 सानुकोशो जितेन्द्रियः II. 4.26d
,, II8.4b
IV. 34.7b ,, महोत्साहः IV. I7.38a
वदान्यश्च II.61.2c सानुगस्य महात्मनः VII. 81.5b सानुगं रघुनन्दन VII. 87.16) सानुग: स रसातलात VII II.Id ,, सह सीतया III. IId
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