SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1052
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सर्वान्वृद्धांश्च वानरान् V. 39.8b सर्वान्वै वनचारिण: I. I7.23d सर्वान्समभिधावन्तम् VI. 67.137a सर्वान्समागतान्दृष्ट्वा VII. 97.13a सर्वान्सुहृद आपृच्च्य II. 34.7c सर्वा पूर्वमियं येषाम् I. 5.1a सर्वाप्सरोवरा रम्भा VII. 26.14c सर्वाभयंकरोऽस्माकम् IV. 22.29e सर्वाभरणजुष्टाश्च VI. I28.22a सर्वाभरणभूषिता II. 78.5d III. I9.17b ,, IV. 58.15b ,, VI. 47.9d सर्वाभरणभूषिताम् I. 73.25b सर्वाभरणभूषिताः II. 9.52b , III. 47.31b __VI. 128.32d सर्वाभरणभूषितैः I. 73.9b सर्वाभरणसर्वाङ्गः VI. 65.31a सर्वाभरणसंपन्नाः VI. I25.45c सर्वा भस्मीकृता पुरी V. 55.IId , , , , 58.159d सर्वामरगणेष्वपि VI. 92.9d सर्वामेको ह्यवष्टभ्य VI. 4.32c सर्वायुधधरास्ततः VI. II.5b सर्वायुधसमाकुलम् VI. 69.22b सर्वायुधसमायुक्त: VI. 69.21a , ,, 71.6oa सर्वा राक्षसयोषितः V. 27.32d ,, राजसुतास्तदा I. 77.13d सर्वार्थस्य सुखाय वै VI. II.26d सर्वार्था विदितं हि ते IV. 27.34d , व्यवसीदन्ति VI. 2.6c सर्वार्थास्तव कामिनि II. 9.32d सर्वार्थाः संभवन्ति हि I. 73.12b १३१ | सर्वार्थेषु प्रवर्तकः V. 12.IIb सर्वा वचनमब्रुवन् I. I0.IId सर्वावध्यत्वमतुलम् V. 60.3a सर्वा ववृतिरे स्त्रियः II. I04.21b सर्वावस्थागता भर्तुः II. 27.9c सर्वास्थासु धीमता II. I05.35d सर्वावस्थां गतं मया VI, 63.32b सर्वा वानरयोषितः VI. I23.36b ,, वानरवाहिनी IV. 66.35d ,, वितिमिरा दिशः V. 15.29b सर्वाश्च प्रकृतीस्तथा VII. 54.6d सर्वाश्चामन्त्रयामि वः II. 39.38d सर्वासामविशेषतः I. 33.8b ,, VII. 42.28d ,, , 46.17b सर्वासामिति निश्चिता: I. 37.24d सर्वासामीश्वरी मम VI. 31.I7b सर्वासामेव भद्रं ते III. 47.28c , लक्ष्मण VII. 48.1b , शोभनम् VI. 128.18b सर्वासां च महाभागाम् V. 23.12c ,, मतिरास वै I. I0.I6b ,, सत्यसंगरः II. I04.18d , हृदयंगमम् I. I0.28b सर्वासु विद्यासु तपोविधाने VII. 36.46a सर्वास्ता बाष्पगद्गदाः VII. 25.16d , विहृता दृष्ट्वा VII. 89.3a सर्वास्ताः प्रत्यपूजयन् I. 77.13b सर्वास्तुम्बरुणा सार्धम् II. 9I.I8c सर्वास्त्रकुशलो बली III. 53.24d सर्वास्त्रकुशलोऽभिनत् VI. 99.39d सर्वास्त्रगुणसंपन्नान् I. I7.4c सर्वास्त्रविदुषां वरः VI. 71.28d सर्वास्त्राणि कृशाश्वस्य I. 21.13a , हतानि मे I. 56.23d Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy