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,, राम इति श्रुत्वा I. 77.5a गतोऽर्धरात्रः काकुत्स्थ I. 34.14a गतो वैवस्वतक्षयम् VII. 73.8d गतोऽसि येन देवेन्द्र VII. 30.3IC गतोऽस्तं ज्ञायते रविः IV. 28.52d गतोऽस्मि भवनं प्रति VII. 41.4b गतोऽस्म्यन्तममर्षस्य VI. II5.5a गतो हि लक्ष्मणं पूर्वम् VII. 44.10a गतौ त्रिभुवनं भद्रौ VII. 54.7c ,, दूर नृपात्म जी III. 50.25b गत्वा किंचित्ततः क्षणम् II. 47.13b ,, कोशगृहं तत: II 39.16b , कीडन्ति कन्यकाः VII. 2.10d , क्षिप्रं महाबल: VI. I01.36b
गोदावरी नदीम् III. 64.Id ,, च तमृषि चष्टे VII. 53.14c ,, चतुरहं मार्गम् I. 69.7a ,, च महदध्वानम् V. 58.46c ,, चाह्वय सुग्रीव IV. 12.I3c ., चौषधिपर्वतम् VI. I0I.32d ,, ज्ञेयो प्लवङ्गमः IV. 2.24b , तत्र त्वया वीर V.72.7c , तं मलयं गिरिम् IV. 5.1b ,, तस्य गिरेस्तटम् VII. 13.25b ,, तस्याश्रमपदम् VII. 3.13c ,, तस्याश्रमं मुने: VII. 30.29b , तस्यास्ततस्तीरम् II. 64.16a ,, तामवसन्पुरीम् VII. 5.28d ,, तारापिता बली VI. 42.26b ,, तीरं महोदधेः I. I.79b , तु कालकेयांश्र VII. 23. I7c ,, ,, नगरी भार्ये VII. I2.23a ,,, यदि काकुत्स्थम् V. 13.21a , ,, रक्षोधिपतेः शशमुः VI. 59.2a ,, रणमूर्धनि VI. 54.23b
, , स महात्मानम् I. I.35a ,, ,, सरयूतोयम् VII. II0.26a ,, ,, सुचिरे कालम् II 49.10a ,, तेन पथा सुखम् III. II.46b ., ती रजनीचरौ VII. 32.13b ,, ,, लघुविक्रमी VII. 82.20d ,, त्रिभुवन श्रेष्ठम् VII. 78.12a त्वरितविक्रमः I.8.5b
,, ,, 12.6d ,, दधिमुखं वचः V.62.17b ,, द्रक्ष्यथ दुर्धर्षा IV. 40.44a " , वानराः IV. 42. IIb , , ,, IV. 42.20b ,, परममध्वानम् VI. 74.29a ,, पार समुद्रस्य IV. 40.33c ,, प्रेक्ष्यथ तां चैव IV. 40.39c ,, मन्धरया सह II. 9.55b , मुहूर्तमध्वानम् II. 54.9c ,, मुहूर्तं त्वरया III. 42.25c ,, मोक्षमवाप्स्यसि VI. 59.127d ,, योजनमन्तरम् III. II.41b ,, रसातलं दिव्य: VII. 69.35a ,, रावणमन्दिरम् VI. 42.1b ,, लकां ममामात्याः VI. 37.7c ,, वचनमब्रवीत् VII. II.45b गत्वाश्रमपदं तस्य VII. 2.8c
,, तत्र , 2.15a गत्वा स प्रविवेशाशु II. 32.IL ., सबलवाहनः I. II. I2d ,, सुदीर्घमध्वानम् II. 105.25c ,, सौमित्रिणा सह II. 31.3b , सौमित्रिसहितः II. 2.37a ,, सौम्य दशग्रीवम् VI. 41.6oc गत्वाह्वयति युद्धाय VII. 34.3c गदया कम्पनः पूर्वम् VI. 76.zc
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