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गतिं तां परमां व्रज II. 6441d | गते दशरथे स्वर्गम् II. 88.22c ,, तु न बिदुस्तव V. 35.38b
,, नाशमसंशयः V. 55.19b ,, दृष्ट्वा नदीनां च II. 60.12c
,, पुरोहिते रामः II. 6.1a. गतिमन्यां तपोधनाः I. 57.21b
,, मयि भविष्यति V. 13.35b गतिं पुत्रा न पश्यामि I. 39.12c
गतेऽरण्यं च ककेय्याः II. 22.13c गतिं बहुविधां रणे VI. I07.34d गते रामे प्रशान्तात्मा I. 77. Ia ,, भर्तुर्महात्मन: VI. 32.32d
,, ,, हि तरुणाः II. II4.23a ,, मृगयमाणानाम् III. I0.13a गतऽर्धदिवसे तदा I. 356b ,, वा न विजानासि II. 73.2 IC गतेऽर्धरात्रे भृशदुःखपीडितः II. 6478c ,, विदित्वा वैदेह्याः IV. 41.46c गनेषु च नभःस्थलम् VII. I0.46d ,, हनूमतो लोके VI. 9.IIC
,, तेषु काकुत्स्थ: VII. 76.23a गतिरेका पति र्या: II. 61.24a.
, नृपसत्तम II. 34.53b गतिरेष तवानघ II. 40.6b
,, पृथिवीशेषु I. 18.5a गतिरेषा परंतप IV. 65.23d
,, ब्रह्मपूर्वेषु VII. 3.21c ,, प्लवंगम VII. 34.39b
,, रक्षःसु यथानियोगम् VI. 59.35b गतिरोधो भविष्यति V. 26.13d
,, वानरेन्द्रेषु IV. 46.ra गतोंपरि चाम्बरे IV. 29.26b
गतेष्वथ नृपो भूयः II. 4.1a गतिर्भव बनौकसाम् IV. 59.3d
गतेऽस्तं तपने चापि VI. 99.30c , सुरेश्वर VII. 6.16d
गते हि त्वयि विकान्ते V. 68.5a गतिर्यः सर्वभूतानाम् II. 78.2a
,,, मयि तत्रेयम् V. 30.9a गतिर्यावच्च चेष्टितम् I. 3.4b
,, हि हरिशार्दूल V. 565a गतिर्वायौ भुवि क्षमा III. 65.5b
गतेरस्मामिरात्मवान् V. 58.6b गतिवेंगश्च तेजश्च IV. 44.5a
गतो गतिमतां वर VI. 32.22b गतिहि जगतो भवान् VII. 82.13d गतोऽन्तः पापकर्मणा IV. 23.23b गतिवेगं समापन्नौ VI. 107.33a
गतोत्सवा ध्यानपरा मयूराः IV. 30.33d गतिश्च पुरुषर्षभ VII. 38.9d
गतोत्साहा निरुथमा VI. 48.26b , शरणं चासीत् II. 20.2c
गतोदके सेतुबन्धः II. 954a गतिथेषा सुदारुणा II. I03.21d
गतो दशरथ: स्वर्गम् II. 79.2a गते च तस्मिन्सुरराजशत्रुः VI. 67.92a गतो दूर भविष्यति II. 59.23b ,, ,, भरते रामः I. 77.20c
,, धर्मजितां भूमिम् IV. 21.7c ,, चादर्शनं हरे VII. 90.20d
,, धर्ममुपासितम् VII. 13.21b ,, तस्मिन्नरश्रेष्ठ I. 46.8a
,, धर्मस्य विग्रहः VI. 109.6b ,, तु तस्मिन्भरतः I. I.33c
,, मतिमतां वरः II. 72.36d ,, ,, भरते श्रीमान् I. I.39c
,, मार्गोऽनुगम्यते II. 21.36d ,,, शोकात् त्रिदिवं नराधिपे II. 66.26a , रमयतोऽत्यर्थम् VII. 89.8c
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