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सवं पुरुषशार्दूल VII. 63.28a
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लोकानाम् VII. 84.16a
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भ्रान्तोऽसि मे राजन् VI. 16.1ga मनोमयः पुत्रः VII. 104.13 रामेण लङ्कायाम् VII. 41.7a रामोऽसि भद्रं ते III. 71.18c सीतां समाचक्ष्व III. 71.25c सुपुष्टमाहारै: VII. 78.17a सुरहितार्थाय I. 29.9a हत्वा मधुसुतम् VII. 62.19c हीनः सुहृद्भिश्च IV. 54. 18a
23
त्वामाह्वयते युधि IV. 15.10b त्वां कुशलमब्रवीत् VI. 125 23d
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कौशलमब्रवीत् V. 34.2d
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प्रदीप्तं चिक्षेप V. 67.13a
प्रसादं धर्मज्ञ I. 20.21a
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,, जातु न नाशयेत् IV. 54.21d
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दाशरथी रामः V. 34.3c
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दृष्टुं व्यवसितः I. 70.14a
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,, पश्यतु भद्रं ते II. 34.7a
मनुजशार्दूलः V. 35.47a
रामहिते युक्तम् V. 1. 106a
विनिहतात्मानम् IV. 17.22
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34b
35b
36b
शरणमागतः IV. 5.6d सत्संग्रहानुग्रहणे II. 1. 26a.
स दक्षिणां दिशं गत्वा I. 57.2a
दण्डस्तत्र राजाभूत् VII. 79.17a
58.137b VI. 125.37b
१९७८
सदण्डः सकमण्डलुः I. 45.32b सदण्डो विधिवन्मुक्तः VII. 79.9c स दत्तं केकयेन्द्रेण II. 70.24a
दत्त्वा तुमुलं युद्धम् VI. 89.263
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ददर्श कपिश्रेष्टम् VI. 86.25a
गुणांस्तत्र VII. 26.30
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,, ततस्तस्या IV. 66. 13a
V. 1.182c
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,, सालम् IV. 8. 12a
सीताम् V. 17.3a ततो रामम् VI. 99. 11c
राम: VI. 100.40a
धनप्रख्यम् VI. 65.53c
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,, नरान्तकम् VI. 69.8ob
महाकपिः V. 3. 19d
महातेजा V. 48.58a
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,, महात्मानाम् I. 70. ga
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ततः क्रुद्धः VI. 97.16c
श्रीमान् IV. 16.15a
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VI. 67.136a VII. 108. 12a
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महापुरीम् V. 2.5ob महावीर्यो VI. 80.20a
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महासाम् III. 30. 16c विदूरस्था V. 17.4c
वृतां लङ्काम् VI. 42.3a
,, हतानन्दाम् VI. 81. ga ददर्शान्तरं तस्य VI. 96.3c ददर्शाविदूरस्थम् V. 15.16a
ददर्शासने रामः II. 18.1a
ददाविह नः शीघ्रम् IV. 64. 19
ददौ पावकं तस्य VI. III. 120a
दर्भचमका I. 30.9a
दर्भसंस्तराद्गृह्य V. 38.29a
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