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________________ सत्कृत्य केको राजा II go. ige " द्विजमुख्यानाम् II. 3.15a न तु लीलया I. 13.14b निहतं सर्वम् II. 30.31a सत्कृत्यामन्त्रयामास III. 13.23c सत्क्रियार्थं क्रियादक्षम् VI. 19.35a सक्रिय कुर्वता शक्त्या V. 11.34c राम मे तावत् VI. 121.14C हि भवानेताम् I. 52.14a सत्त्वधैर्यसमन्वितम् VI. 67.57b सत्त्वमातिष्ठ तेजसा VI. 2. 15b सत्त्वमास्थाय केवलम् III. 36.12d मेघावी V. 3. IC सत्त्वयुक्तश्च विक्रम: IV. 44.14b सत्त्वयुक्ता हि पुरुषाः IV. 35.11a सत्त्ववन्तश्र सूदिताः 40.8b सत्त्ववन्तं महाकपिम् V. 53. 16d सत्त्वयन्तो महाबलाः IV. 42.23b V. 3.44d . " 39 ވ " " 97 コ " 27 " 37 33 39.35b 68.18b Jain Education International " VII. 6.336b सत्त्ववान्वानपि V. 67.18d सत्ववाजितकाशी च III. 49.39c सत्ववान्व. पिसत्तमः IV. 65.gb सत्त्ववान्वर्षभः V. 3.32d सत्त्ववान्सत्पथे स्थित: VI. 18.36d सत्त्ववान्ह रिसत्तमः V. Srib सत्त्वहीनं मया राजन् VI. 49.23c सत्वं च हरिपुङ्गव IV. 66.7b ,, नगरराष्ट्रजम् I. 1o.gd 29 बलमतः शीघ्रम् VI. 57.7a सत्त्वानां निनदोऽभवत् I. 39.2cd सत्त्वानि विविधानि च III. 49.33b सत्त्वानुगं पुरस्कृत्य VII. 58.6c ११७५ सत्त्वान्यतिप्रमाणानि IV. 47.13c सत्त्वाभिजन संपन्न: IV. 34.7a सत्त्वावरुद्धस्तपसः प्रसूति: IV. 33.52d सत्त्वाः पुरुषवादिन: VII. 87.13b सत्त्वेन च बलेन च VI. 40.8b रूपं मनुजेन्द्रपुत्रौ V. 28 gb लोकायति II 12.2ga वीर्येण पराक्रमेण VI. 15.3a सत्त्वे वीर्ये न ते कश्चित् V. 57.45C सत्राण्यन्वासते दान्ता II. 67.13 स त्रिभिनैर्ऋतश्रेष्ठैः VI. 70. 12a त्रिभिर्देवदर्पन: VI. 70.5a त्रिरात्रोषितस्तत्र VI. 21. Ira "" सत्रे कुशमयश्च यः VI. 88.7od 33 " वै यज्ञदक्षिणाम् II. 75.26b " सत्पथे निरतस्य च II. 36.2gb निष्ठितस्य च VII. 10.5d "" स त्यक्त्वा तु रथं तस्य VI. 52.30a त्यजिष्यति धर्मात्मा VII. 50.120 " सत्यधर्मपथे स्थितः II. 30.38b सत्यधर्मपराक्रम II. 11.7d सत्यधर्मपरायणम् IV. 33.48b सत्यधर्मपरायणाः I. 57.3d "3 VII. 74.18d सत्यधर्मरतः श्रीमान् V. 35.21a सत्यधर्माभिरक्तानाम् VI. 46.32e सत्यधर्मे व्यवस्थितः V. 33.23h सत्यनामानि पद्मानि VI. 47. Sa सत्यत्यनामा प्रकाशते I. 6.26d सत्यनामा दृढतराम् II. 100.400 सत्यपाशेन संयुतः II. 34.30b सत्यप्रतिज्ञं पितरम् II. 20.24 सत्यप्रतिश्रवः सत्यम् II. 109.16c सत्यमस्तु वचस्तव I. 29.29d 38. ca C. 27 For Private & Personal Use Only ور www.jainelibrary.org
SR No.002795
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1966
Total Pages1190
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size26 MB
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