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________________ ऊचतुर्भ्रातरं ज्येष्ठम् VII. 6.39c ऊचतुर्मुनिदारकौ VII. 94.24b ऊचतुर्मुनिपुंगवम् I. 36. rd ऊचतुश्व महात्मानम् I. 23.70 ऊचतुश्च महात्मानौ VII. 53.17 C 94.19c "" 29 " ऊचतुः परमप्रीते I. 38.9c ऊचतुः परमोदारम् I. 31.3c ऊचतू रघुनन्दनौ I. 29.28d ऊचुः खगमृगाः सर्वे VI. 55. 12a ऊचुः पत्नीं च सत्रिण: VI. 48.3b ऊचुः परमधर्मज्ञः III. 6.7c ऊचुः परमसंतप्ता II. 45.20c ऊचुः परमसंत्रस्ताः I. 39.24c ऊचुः परस्परं चेदम् VII. 94.13a ऊचुः प्राञ्जलयो देवाः VII 6.3c 35.54a " " ऊचुः प्राञ्जलयः सर्वे VI. 7.1 33 29 در " ور 38.32a ऊचुः प्रियचिकीर्षव: VI. 17.34d उचुः शूरविगर्हितम् VI. 66.28d ऊचुः समेता सहसा I. 60.5a ऊचुः समेत्य संहृष्टाः VII. 5.18c ऊचुः सानुनयं वचः I. 60.24d ऊचुः सुमधुरां वाणीम् VII. 70. Ic ऊचुः सुरासुराः सर्वे VI. 102.45a ऊचुः संप्रश्रितं वाक्यम् II. 70. IIc ऊचुः संभ्रान्तवद्वाक्यम् VII. 6.13c ऊचुः संरक्तलोचनाः I. 59.xsd ऊचुः संश्रवणे ये माम् VI. 48.5a ऊचुर्दशरथं वचः II. 40.5od ऊचुर्नृपतिमन्त्रिणः I. 67.5d ऊचुर्बद्धाञ्जलिपुटाः VI. 60.85c Jain Education International 122.18a " VII. 5.13c رو १४४ ऊचुर्बहुजना वाचः II. 33.5c ऊचुर्भरतमागताः II. 93.22b giger VII. 88.18d ऊचुर्लाक्षणिका ये माम् VI. 48.2a ऊचुर्वचनमङ्गनाम् IV. 19. rod ऊचुर्वांचं सुसंक्रुद्धा: III. 20. Ire ऊचुश्च देवदेवेशम् VII. 69.22a ऊचुश्च परमक्रुद्धाः V. 24.16a ऊचुश्च परमप्रीताः I. 8.11a ऊचुश्च परमायत्ता II. 37.16a ऊचुश्च मनसा ज्ञात्वा II. 2. 200 ऊचुश्च मुदिता रामम् I. 27.25a ऊचुश्च वचनं तस्य IV. 45.17c ऊचुश्च वचनं सर्वे I. 59.11a ऊचुश्च सर्वे हरयः प्रतीताः IV. 53.27b ऊचुश्च सहितास्तुष्टा: VI. go. 88a ऊचुश्चान्योन्यमालिङ्गय VI. 92. 38 ऊचुश्चापि हुताशनम् I. 35.17b ऊचुश्चैव महात्मानः VII. 60.16a ऊचुस्तत्र यथाक्रमम् IV. 65. Id चुस्तद्वाक्यमप्रियम् V. 24. 1d ऊचुस्ते च महीपालाः VII. 39.3a ऊचुस्ते रामवाक्यानि VII. 95.8c ऊचुस्ते वचनमिदं निशम्य हृष्टाः II. 79.17a ऊचू रावणचोदिताः VI. 60.88d ऊसश्चाथ संभूता I. 55.2c ऊनद्वादशवर्षोऽयम् III. 38.6c ऊनषोडशवर्षो मे I. 20.2a ऊरु करिकराकारौ VII. 26.1ga ऊरु करिकरोपमौ III. 46.1gb ऊरून्करिकरोपमान् III. 25.22b ऊरू पश्यामि ते देवे III. 62.4c ऊरुपार्श्वकटीपृष्टम् V. 9.61a ऊरुभिर्बाहुमिरिछन्नै: III. 25.43c ऊरुभ्यामपरानपि V. 45.13b For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002794
Book TitleValmiki Ramayana Pada Suchi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGovindlal H Bhatt
PublisherOriental Research Institute Vadodra
Publication Year1961
Total Pages182
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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