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२०० ( ई० पू० ) १०० ( ई० उ० )
१०० - ३०० ( ई० उ० )
१०० - ४०० ( ई० उ० )
१००-३०० ( ई० उ० ).
२००-५०० ( ई० उ० )
२००-५०० ( ई० उ० )
३००-५०० ( ई० उ० )
३००-६०० ( ई० उ० )
४००-- ६०० ( ई० उ० ) ५००-- ५५० ( ई० उ० ) ६००-६५० ( ई० उ० ) ६५०-- ६६५ ( ई० उ० )
६५०-७०० ( ई० उ० )
६००-६०० ( ई० उ० )
७८८ - ८२० ( ई०
उ० )
८००-८५० ( ई० उ० )
८०५- ६०० ( ई० उ० ) ६६६
( ई० उ० ) १००० - - १०५० ( ई० उ० )
१०८० - ११०० ( ई० उ० ) १०८० - ११०० ( ई० उ० ) ११०० - ११३० ( ई० उ० )
११०० - ११५० ( ई० उ० ) ११००-११५० ( ई० उ० ) ११०० - - ११३० ( ई० उ० ) १११४ – ११८३ ( ई० उ० )
११२७- ११३८ ( ई० उ० ) ११५०-११६० ( ई० उ० )
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१२
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: मनुस्मृति ।
: याज्ञवल्क्यस्मृति ।
: विष्णुधर्मसूत्र ।
नारदस्मृति | वैखानसस्मार्तसूत्र ।
: जैमिनि के पूर्वमीमांसासूत्र के भाष्यकार शबर ( अपेक्षाकृत पूर्व समय के : आसपास ) ।
: व्यवहार आदि पर बृहस्पतिस्मृति ( अभी तक इसकी प्रति नहीं मिल सकी है ।) एस० बी० ई० ( जिल्द ३३ ) में व्यवहार के अंश अनूदित हैं और प्रो० रंगस्वामी आयंगर ने धर्म के बहुत से विषय संगृहीत किये हैं, जो गायकवाड़ ओरिएण्टल सीरीज द्वारा प्रकाशित हैं ।
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: कुछ विद्यमान पुराण, यथा - वायु०, विष्णु०, मार्कण्डेय०, मत्स्य, कूर्म० । कात्यायनस्मृति ( अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है ) ।
: वराहमिहिर; पंचसिद्धान्तिका, बृहत्संहिता, बृहज्जातक आदि के लेखक । : कादम्बरी एवं हर्षचरित के लेखक बाण |
पाणिनि की अष्टाध्यायी पर 'काशिका' - व्याख्याकार वामन -- जयादित्य | : कुमारिल का तन्त्रवार्तिक ।
: अधिकांश स्मृतियाँ, यथा-- पराशर, शंख, देवल तथा कुछ पुराण, यथाअग्नि०, गरुड़ ० ।
: महान् अद्वैतवादी दार्शनिक शंकराचार्य |
: याज्ञवल्क्यस्मृति के टीकाकार विश्वरूप |
: मनुस्मृति के टीकाकार मेधातिथि 1
: वराहमिहिर के बृहज्जातक के टीकाकार उत्पल ।
: बहुत से ग्रन्थों के लेखक धारेश्वर भोज |
: याज्ञवल्क्यस्मृति की टीका मिताक्षरा के लेखक विज्ञानेश्वर । मनुस्मृति के टीकाकार गोविन्दराज |
: कल्पतरु या कृत्यकल्पतरु नामक विशाल धर्मशास्त्र विषयक निबन्ध के लेखक लक्ष्मीधर ।
: दायभाग, कालविवेक एवं व्यवहारमातृका के लेखक जीमूतवाहन । : प्रायश्चित्तप्रकरण एवं अन्य ग्रन्थों के रचयिता भवदेव भट्ट ।
अपरार्क, शिलाहार राजा ने याज्ञवल्क्यस्मृति पर एक टीका लिखी । : भास्कराचार्य, जो सिद्धान्तशिरोमणि के, जिसका लीलावती एक अंश है, : प्रणेता हैं ।
: सोमेश्वरदेव का मानसोल्लास या अभिलषितार्थचिन्तामणि ।
: कल्हण की राजतरंगिणी 1
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