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धर्मशास्त्र का इतिहास सवाचारसंग्रह-वेंकटनाथ द्वारा। दे० 'स्मृतिरत्नावलि'। सन्ध्यात्रयभाष्य--परशुराम द्वारा (बड़ोदा, ६४६३); सदाचारसंग्रह-नीलकण्ठ-पुत्र शंकरभट्ट द्वारा (इण्डि० द्विजकल्पलता नाम भी है।
आ०, पृ० ५९०, सं० १८००)। सम्भवतः एक सन्ध्यादि ब्रह्मकर्म। कल्पित अथवा कपट-ग्रन्थ। नो० (जिल्द १, पृ० सन्ध्यानिर्णय। १०३) में लेखक नाम नहीं है, किन्तु प्रथम श्लोक सन्ध्यानिर्णयकल्पवल्ली-रामपण्डित एवं लक्ष्मी के पुत्र
इण्डि० आ० (पृ० ५९०) के समान ही है। कृष्णपण्डित द्वारा। चार गुच्छों में। हुल्श (सं० सदाचारसंग्रह-श्रीनिवास पण्डित द्वारा; तीन काण्डों ४४२, पृ० ८०)।
में; आचार, व्यवहार एवं प्रायश्चित्त पर। सन्ध्यापद्धति-रघु० के आह्निकतत्त्व में व०। सवाचारसमृद्धि।
सन्ध्याप्रयोग-नो० (जिल्द १०, पृ० ३४३) । साधारस्मति-आनन्दतीर्थ द्वारा। ४० श्लोकों में। सन्ध्यारत्नप्रदीप-आशाधर भट्ट द्वारा। तीन किरणों में। टी०, मध्व के शिष्य नृहरि द्वारा; बड़ोदा (सं० बड़ोदा (सं० २९) । १८८४) । टी० रामाचार्य द्वारा (बड़ोदा, सं० सन्ध्यावन्दनभाष्य-(या सन्ध्याभाष्य) आनन्दतीर्थ २६१९)।
द्वारा। सवाधारस्मति-विश्वनाथ-पुत्र नारायण पण्डित द्वारा। संध्यावन्दनभाष्य-राघवदैवज्ञ के पुत्र कृष्णपण्डित द्वारा। बीकानेर (पृ० ४४९, यहाँ ग्रन्थ का नाम 'सदाचार- चार अध्यायों में। बी० बी० आर० ए० एस्. (पृ० स्मृतिटीका' है। स्टीन (पृ० १०७)।
२३७)। सदाचारस्मृति-राघवेन्द्र यति द्वारा। आह्निक पर। सन्ध्यावन्दनभाष्य-रामभट्ट एवं लक्ष्मी के पुत्र तथा से० प्रा० (पृ० ६१९३)।
मकुन्दाश्रम एवं कृष्ण के शिष्य कृष्णपण्डित द्वारा। सदाचारस्मृति-श्रीनिवास द्वारा (से० प्रा०, ६१९२)। हुल्श (पृ० ५८)। इसे संध्यावन्दनपद्धति भी कहा सवाचारस्मृतिव्याल्याक्षीरसिन्धु-बड़ोदा (सं० १८२०) जाता है। आनन्दाश्रम प्रेस में मुद्रित। प्रयोगपारिजात का उ० है।
संध्यावन्दनभाष्य-चिन्नयार्य एवं कामाम्बा के पुत्र सबर्मचन्द्रोदय-अहल्याकामधेनु में व०।
चौण्डपार्य द्वारा। आश्वलायनीयों के लिए। भानु सबर्मचिन्तामणि-आचारमयख में व०।
के पुत्र चामुण्डि की प्रार्थना पर प्रणीत। सद्धर्मतत्त्वाल्याह्निक--मयुरा के गंगेश-पुत्र हरिप्रसाद संध्यावन्दनभाष्य-तिर्मलयज्वा (या तिरुमल.) द्वारा। द्वारा। ६२ श्लोकों में। ले० ने आचारतत्त्व भी संध्यावन्दनभाष्य-नारायणपण्डित द्वारा। ले० ने ६० लिखा।
ग्रन्थ लिखे हैं। सवृत्तरत्नमाला।
संध्यावन्दनभाष्य-महादेव के शिष्य रामाश्रमयति द्वारा। सनत्कुमारसंहिता-त्रिस्थलीसेतु एवं नि० सि० में व०। बनारस में शक १५७४ (१६५२-५३ ई०) में सन्तानवीपिका-सन्तानहीनता के ज्योतिष्-कारण प्रणीत । बताये गये हैं।
संध्यावन्दनभाष्य-विद्यारण्य द्वारा (ऋग्वेदी संध्या एवं सन्तानदीपिका-केशव द्वारा।
तैत्तिरीय संध्या पर)। सन्तानदीपिका-महादेव द्वारा।
संध्यावन्दनभाष्य-वेंकटाचार्य द्वारा- ( ऋक्संध्या सन्तानदीपिका-हरिनाथाचार्य द्वारा।
पर)। संदर्भसूतिका--हारलता पर टीका ।
संध्यावन्दनभाष्य-नृसिंह के शिष्य व्यास द्वारा। स्टीन सन्ध्याकारिका-लीलाधर के पुत्र सर्वेश्वर द्वारा। (पृ० २५६) ।
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