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________________ धर्मशास्त्रीय प्रत्यपूची १६२५ संस्कारचिन्तामणि-काशी के रामकृष्ण द्वारा (सें. (२) मित्रमिश्ररचित वीरमित्रोदय का एक प्रा०,सं०६०७३) । सम्भवतः यह संस्कारगणपति भाग। संस्कारप्रदीप । संस्कारतस्व-रघु० द्वारा। दे० प्रक० १०२। टी० संस्कारप्रवीपिका-विष्णुशर्मा दीक्षित द्वारा। कृष्णनाथ द्वारा। संस्कारप्रयोग। संस्कारवीषिति-दे० संस्कारकौस्तुभ । संस्कारभास्कर-(१) मयूरेश्वर अयाचित के पुत्र संस्कारवीषिति-बनारस में मुद्रित। खण्डभट्ट द्वारा। कर्क एवं गंगाधर पर आधृत। संस्कारनिर्णय-(१) धर्मभट्ट के पुत्र उमण्णभट्टात्मज संस्कारों को ब्राह्म (गर्भाधान आदि) एवं दैव (पाक चन्द्रचडभद्र द्वारा। गर्भाधान से आगे के संस्कारों का यज्ञ आदि) में बाँटा गया है। ड० का० (सं० ६११, वर्णन है। ज्योतिनिबन्ध, माधवीय, हरदत्त एवं १८८२-८३)। (२) विश्वनाथ के पुत्र ऋषिबुध सुदर्शन (आपस्तम्ब पर) तथा प्रयोगरत्न का उ० है। (या-भट्ट, उपाधि शौच या शौचे) द्वारा। वेंकटेश्वर एक पाण्डु० (इण्डि० आ०, पृ० ९८, सं० ४६७) की प्रेस द्वारा मु०। कर्क, वासुदेव, हरिहर (पारस्करतिथि है शक संवत् १६०७ (१६८५ ई०)। १५७५- गृह्य पर) पर आवृत; प्रयोगदर्पण का उ० है। बी. १६५० ई० के बीच। (२) रामभट्ट के पुत्र तिप्याभट्ट बी० आर० ए० एस० (२, पृ० २३६, सं० ७३९) । ('गह्वर' उपाधिवारी) द्वारा। आश्वलायनों के संस्कारमंजरी-नारायण द्वारा। यह ब्रह्मसंस्कारमंजरी लिए। १७७६ ई० में लेखक ने आश्वलायनश्रौतसूत्र ही है। पर संग्रहदीपिका लिखी। (३) नन्दपण्डित द्वारा; संस्कारमयूल-(१) नीलकण्ठ द्वारा। दे० प्रक० १०७। स्मृतिसिन्धु का एक अंश। दे० प्रक० १०५। कई पाण्डु० में यह लेखक के पुत्र द्वारा प्रणीत माना संस्कारनृसिंह-नरहरि द्वारा (से० प्रा०, सं० ६०७६)। गया है। गुजराती प्रेस एवं जे० आर० घरपुरे द्वारा बनारस में सन् १८९४ में मु०। मु०। (२) इसका नाम संस्कारभास्कर भी है, संस्कारपति-सखाराम के पुत्र अमृतपाठक द्वारा जो शंकर के पुत्र दामोदरात्मज सिद्धेश्वर द्वारा (माध्यन्दिनीयों के लिए)। हेमाद्रि, धर्माधिसार, रचित है। ले. नीलकण्ठ का भतीजा था। १६३०प्रयोगदर्पण, प्रयोगरत्न, कौस्तुभ, कृष्णभट्टी, गदाधर १६७० ई० के बीच में। २५ संस्कारों पर। अन्त में का उ० है। गोत्रों एवं प्रवरों की एक पूर्ण सूची दी हुई है। संस्कारपति--आनन्दराम याज्ञिक द्वारा। संस्कारमार्तण्ड-मार्तण्ड सोमयाजी द्वारा। स्थालीपाक संस्कारपति--कमलाकर द्वारा। दे० 'संस्कारकमला- एवं नवग्रह पर दो अध्याय हैं। मद्रास में मुद्रित। कर'। संस्कारमुक्तावली-तानपाठक कृत। संस्कारपद्धति-राम के पुत्र गंगाधरभट्ट द्वारा। दे० संस्काररत्न-नारायण के पुत्र हरिभट्ट-सुत खण्डे राय 'संस्कारगंगाधरी। द्वारा। ले० के कृत्यरत्न में व०। १४०० ई० के संस्कारपति-भवदेव द्वारा। यह छन्दोगकर्मानुष्ठान- पश्चात् । विदर्भराज उसके वंश के आश्रयदाता थे। पद्धति ही है। दे० प्रक०७३ । टी० रहस्य, रामनाथ संस्काररत्न-मणिराम के अनूपविलास या धर्माम्भोधि द्वारा। शक संवत् १५४४ (१६२२-२३ ई.)। से। नो० (६, पृ. २३७-२३८)। संस्काररत्नमाला--(१) गोपीनाथभट्ट द्वारा, आनन्दासंस्कारपति-शिंग्य द्वारा। श्रम प्रेस एवं चौखम्भा द्वारा मुद्रित। (२) नागेशभट्ट संस्कारप्रकाश---(१) प्रतापनारासिंह का एक भाग। . द्वारा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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