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धर्मशास्त्र का इतिहास श्रावकलिकाविवरण---विश्वरूपाचार्य कृत। शिवभट्ट श्रावकल्पना----इण्डि० आ० (पृ० ५५८) । के षण्णवतिश्राद्धनिर्णय में व०।
श्राद्धकल्पभाष्य--दे० 'गोभिलीयश्राद्धकल्प।' श्रावकल्प---(मानव) बी० बी० आर० ए० . एस्. श्राद्धकल्पलता-गोविन्दपण्डित कृत; श्राद्धकल्पलता में
(जिल्द २, पृ० १७७) । (१) कात्यायनीय (या नन्दपण्डित द्वारा व०। श्राद्धकल्पसूत्र या नवकण्डिकाश्राद्धसूत्र) ९ अध्यायों श्राद्धकल्पलता--नन्दपण्डित द्वाग। दे० प्रक० १०५ । में: श्राद्ध कृत्यों पर ९ श्लोक हैं; कई टीकाओं के श्राद्धकल्पसार-.-नारायणभद्र के पुत्र शंकरभट्ट द्वारा। साथ गुजराती प्रेस में मुद्रित। टी० प्रयोगपद्धति; टी० लेखक द्वारा, दे० स्टीन (पृ० १०५, ३१६) । नो० (जिल्द २, पृ० १७४) । टी० श्राद्धविधिभाष्य, श्राद्धकल्पपुत्र --० बाद्धकल्प' (कात्यायनीय)। कर्क द्वारा (गुजराती प्रेस)। टी० श्राद्धकाशिका, श्राद्धकल्पसूत्र--(या नवकण्डिकासूत्र, कात्यायन का नित्यानन्दात्मज अतिसुख के पुत्र विष्णुमिश्रसुत छठा परिशिष्ट) दे० 'नघकण्डिकासूत्र ।' कृष्णमिश्र द्वारा; नि० सि० मारा व०; कर्क एवं श्राद्धकाण्ड--नृसिंह के प्रयोगपारिजात से। हलायुध की टीकाओं की ओर सकेत है (गुजराती श्राद्धकाण्ड---भट्टाज द्वारा। प्रेस)। टोल थालमत्रा मंजरी मन पुत्र गदाधर श्राद्धकाण्ड-.-वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा। स्मृतिमुक्ताफल द्वारा। टोनगंग के पुत्र नालामुग (अलवर, का एक भाग। ४४) । टी० समुद्रकर द्वारा (तिथितत्त्व, पृ० १७४ श्राद्धकाण्डसंग्रह--वैद्यनाथ द्वारा। सम्भवतः उपर्युक्त द्वारा व०)। टी० संकर्षण के पुत्र हलायुध द्वारा; 'श्राद्धकाण्ड' । गोविन्दराज एवं शंखधर का उल्लेख है ; श्राद्धकाशिका श्राद्धकारिका----अलवर (सं० १४९६ एवं उद्धरण द्वारा ब० । लगता है, 'नीलासुर' नीलाम्बर (जिसका ३५४) । अर्थ 'हलायुध' है) का भ्रामक पाठ है; यजुर्वेदिश्राद्ध- श्राद्धकारिका--केशव जीवानन्द शर्मा द्वारा। तत्त्व (जीवानन्द, जिल्द २, पृ० ४९६) ने स्पष्टतः श्राद्धकार्यनिर्णय । कात्यायन के नीलाम्बर कृत भाष्य का उल्लेख किया श्राद्धकाशिका--नित्यानन्द के पुत्र, प्रतिसुखात्मज है। (२) मानवगृह्य का एक परिशिष्ट। (३) विष्णुमिश्र-सुत कृष्ण द्वारा (गुजरातीप्रेस, पारस्करगोभिलीय; टी० महायशा द्वारा (बड़ोदा, सं० गृह्य का संस्करण) । कर्क, धर्मप्रदीप, हलायुध का १२८९५)। (४) मैत्रायणीय। (५) अथर्ववेद उल्लेख है और नन्दपण्डित रा श्राद्धकल्पलता, का ४४वा परिशिष्ट।
श्राद्धमयूख में ब०। १३००-१५०० ई० के बीच। श्राद्धकल्प---(१) काशीनाथ कृत। (२) भर्तृयज्ञ श्राद्धकृत्यप्रदीप--होरिल द्वारा। अलवर (उद्धरण कृत। (३) वाचस्पतिकृत; पितृभक्तितरंगिणी नाम ३५५)। भी है (दे० प्रक० ९८)। (४) श्रीदत्त द्वारा; श्राद्धकौमुदी--(या श्राद्धक्रियाकौमुदी) गोविन्दानन्द छन्दोगश्राद्ध नाम भी है (दे० प्रक० ८९); स्मृति- द्वारा। दे० प्रक० १०१। बिटिल० ण्डि० । गृह्य, पुराणों, गोपाल एवं भूप पर आधृत (नो, श्राद्धक्रम---महादेव के पुत्र याज्ञिकदेव द्वारा। जिल्द ३, पृ० ३४; जिल्द २, पृ० ३६४) । (५) श्राद्धखण्ड--नृसिह के प्रयोगपारिजात से। हेमाद्रि द्वारा (पीटर्सन की छठी रिपोर्ट, पृ० ११); श्राद्धगणपति--- (या श्राद्धमंग्रह) कोण्डभट्ट के पुत्र चतुर्वर्गचिन्तामणि की चर्चा है।
रामकृष्ण द्वारा। से० प्रा० (सं० ५९२१)। दे० श्रादकल्पदीप--होरिलत्रिपाठी कृत।
'श्राद्धसंग्रह।' श्रावकल्पद्रुम ।
श्राद्धचन्द्रिका--(१) भारद्वाज गोत्रज बालकृष्ण के पुत्र
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