SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 605
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५९८ धर्मशास्त्र का इतिहास एवं लेख्यप्रमाणों पर सन् १२३२ ई० में लिखित। वर्णाश्रमधर्म-वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा। सम्भवतः उपदे० भण्डारकर रिपोर्ट (१८८२-८३ ई०, सं० ४१०; युक्त ही है। पाण्डु० तिथि सं० १५३६ अर्थात् १४७९-८० ई०)। वर्णाश्रमधर्मवीप-(या दीपिका) भारद्वाज गोत्रीय लेखपखति--बन्धकों, विक्रयपत्रों, सन्धियों के विभिन्न राघवात्मज गोविन्द के पुत्र कृष्ण द्वारा। संस्कारों, प्रकारों पर, ९वीं से लेकर १६वीं वि० शताब्दी तक के गोत्रप्रवरनिर्णय, स्थालीपाक, लक्षहोम, कोटिहोम, राजकीय सचिवालय के लेख्यप्रमाणों के उद्धरणों के तुलापुरुष, वास्तुविधि, आह्निकविधि, सर्वप्रायश्चित्त, साथ; गायकवाड़ ओ० सी० (१९२५)। मूर्तिप्रतिष्ठा आदि पर बनारस में प्रणीत। लेखमुक्तामणि---वत्सराज के पुत्र हरिदास द्वारा। वर्णाश्रमधर्मदीप-गोदावरी के तट पर स्थित महाराष्ट्र उद्भव (लेखन के उद्भव), गणित, लिखन (लिपिक के राजा कृष्ण द्वारा। बोकानेर (पृ० ४८९)। यह या मुहरिर के लिखने की कला) वं नृपनीति पर एक विशाल ग्रन्थ है। ४६४ श्लोकों में एवं ४ सर्गों में। पाण्डु० १६२५ ई० वर्षमानपद्धति-रघु० के श्राद्धतत्त्व में व०। इसे में उतारी गयी (औष्टि का कैटलाग)। नव्यवर्धमान० भी कहा जाता है। लोकपालाष्टदान। वर्षकृत्य--लक्ष्मीधर के पुत्र रुद्रधर द्वारा। १९०३ ई० लोकप्रकाश--क्षेमेन्द्र द्वारा। ११वीं शताब्दी का में बनारस में प्रका०। दुर्गोत्सवविवेक (शूलपाणि उतरा। इसमें लेख्य प्रमाणों, बन्धक-पत्रों आदि के कृत) में व०। आदर्श-रूप वणित हैं। वर्षकृत्य-चम्पहट्टी कुल के रावणशर्मा द्वारा। संक्रान्ति लोकसागर---अहल्याकामधेनु में व०। एवं १२ मासों के व्रतों एवं उत्सवों पर। लोहितस्मृति। वर्षकृत्य--विद्यापति द्वारा। १५वीं शताब्दी के लग० सौगाक्षिस्मृति--दे० प्रक० ५०। प्रथमा में। रघु० के मलमासतत्त्व में व०। वंगिपुरेश्वरकारिका---वगिपूरेश्वर द्वारा। वर्षकृत्य--शङ्कर द्वारा। इसे स्मृतिसुधाकर या वर्षवचनसंग्रह ----बड़ोदा (सं० ५५०७)। कृत्यनिबन्ध भी कहते हैं। बीकानेर (पृ० ४६८) । वचनसमुच्चय---बीकानेर (सं० ४८९)। वर्षकृत्य-हरिनारायण द्वारा । से० प्रा० (स०५०१७)। वचनसारसंग्रह---सुन्दराचार्य के पुत्र श्रीशैलताताचार्य वर्षकृत्यतरंग--कृत्यमहार्णव से। द्वारा। मदनपा० में उ० । वर्षकृत्यप्रयोगमत (माला)-मानेश्वर शर्मा द्वारा। घटेश्वरसिद्धान्त--गदाधर के कालसार में उ०। पाण्डु० तिथि १४७७ ई० (बिहार०, जिल्द १, सं० वत्सस्मृति----कालमाधव में एव मस्करी द्वारा (गौतम- ३१२ एव जे० बी० ओ० आर० एस०, १९२७, धर्मसूत्र में) व०। भाग ३ एवं ४, पृ० ४)। वपननिर्णय। वर्षकौमुदी--(या वर्षकृत्यकौमुदी) गणपतिभट्ट के पुत्र वरदराजीय-हुल्य (सं० ४४८, रिपोर्ट १)। गोविन्दानन्द द्वारा । बिब्लि० इण्डि० द्वारा प्रका। वाहारविवेक-वेंकटनाथ द्वारा। दे० प्रक० १०१। वर्णकाचार। वर्षदर्पण-दिवाकर की कालनिर्णयचन्द्रिका में एवं समयवर्णशासन। मयूख में व०। १६०० ई० के पूर्व। वर्णसङ्करजातिमाला-भार्गव राम द्वारा। नो० न्यू० वर्षदीधिति---अनन्तदेव के स्मृतिकांस्तुभ का भाग। (१, पृ० ३३२)। वर्षदीप--रूपनारायणीय में क०। वर्णसारमणि-वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा। वर्षदीपिका-चण्डेश्वर के कृत्यरत्नाकर में व०। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy