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________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्थसूची १५८१ प्रासादप्रतिष्ठादीषिति - ( राजधर्म कौस्तुभ का अंश) बह्न चाह्निक- रामचन्द्र के पुत्र कमलाकर के द्वारा । उसके प्रायश्चित्तरत्न का उ० है । अनन्तदेव द्वारा । दे० प्रक० १०९ । प्रासादशिवप्रतिष्ठाविधि - कमलाकर द्वारा । दे० प्रक० बादरायणस्मृति - प्रायश्चित्तमयूख एवं नीतिवाक्यामृत की टी० में उल्लिखित । बार्हस्पत्यमुहूर्त विधान । बार्हस्पत्यस्मृति --- हेमाद्रि द्वारा व० । बार्हस्पत्य संहिता - गर्भाधान, पुंसवन, उपनयन एवं अन्य संस्कारों के मुहूर्ती तथा शकुनों पर । वीरमित्रोदय ( लक्षणप्रकाश, पृ० ३५६ ) ने गद्य एवं पद्य में हाथियों के विषय में इसका उद्धरण दिया है। प्रेतमञ्जरी --- ( या प्रेतपद्धति ) द्यादुमिश्र द्वारा । बार्हस्पत्यसूत्र -- पंजाब सं० सी० में प्रका० । नीतिसर्वस्व १०६ । प्रेतकृत्यनिर्णय | प्रेतकृत्यादिनिर्णय --- अज्ञात । प्रेतप्रदीपका - गोपीनाथ अग्निहोत्री द्वारा । प्रेतप्रदीप कृष्णमित्राचार्य द्वारा । प्रेतमञ्जरी --- दे० ह० प्र० ( १७ ), पाण्डु० की तिथि १७०७ ई० है । अलवर (सं० १४०३ ) । प्रेतमुक्तिवा -- शेमराज द्वारा । प्रेतश्राद्ध व्यवस्थाकारिका -- स्मार्तवागीश द्वारा । प्रौढ मताजमार्तण्ड -- ( या कालनिर्णयसंग्रह) प्रतापरुद्रदेव द्वारा दे० प्रतापमार्तण्ड । फलप्रदीप -- नृसिंह के प्रयोगपारिजात में उल्लिखित । सम्भवतः केवल ज्योतिष ग्रन्थ है । फलाभिषेक | बभ्रुस्मृति - पराशरमाधवीय में व० । बलवेवाह्निक- महाभारत से संगृहीत । बहससूत्र | बहिर्मातृका । बहिर्यागपूजा । बह्न चकारिका - नि० सि० में व० । बह्न. कर्मप्रयोग -- ( शाकल के अनुसार ) नो० (जिल्द १०, पृ० ५) । बह्न. चगृह्यकारिका -- शाकलाचार्य द्वारा । दे० बर्नेल, तंजौर कैटलाग ( पृ० १४ बी) । यह उपर्युक्त ही है। समयमयूख में व० । बह्न गृह्यपरिशिष्ट - हेमाद्रि, रघु० एवं नि० सि० में उल्लिखित । बहू चश्राद्धप्रयोग । बह्वचषोडशकर्ममन्त्रविवरण । बहु चसन्ध्यापद्धतिभाष्य । Jain Education International नाम भी है। बालबोधक - आनन्दचन्द्रकृत प्रायश्चित्त पर ४६ श्लोकों में। बालमरणविधिकर्तव्यता । बालम्भट्टी -- लक्ष्मी देवी द्वारा। आचार, व्यवहार एवं प्रायश्चित्त पर । घरपुरे द्वारा प्रका० । घरपुरे ने व्यवहार के अंश का अनुवाद किया है। दे० प्रक० १११ । बालाक्य - नृसिंहप्रसाद ( दानसार ) में व० । बालावबोधपद्धति - शांखायनगृह्यसूत्र पर । बाष्कलस्मृति-- मिताक्षरा (याज्ञ० ३।५८) द्वारा व० । बुद्धिप्रकाश -- रघु० द्वारा उल्लिखित । बुधभूषण -- शम्भु राजद्वारा ( महाराज शिवाजी के पुत्र ) । १६८०-१६८९ ई० । राजनीति आदि पर गवर्नमेण्ट ओरिएण्टल सी० ( पूना, १९२६) द्वारा प्रका० । बुषस्मृति - एक पृष्ठ का (पद्य में) निबन्ध । ड० का ० पाण्डु० (सं० २०७ ), १८८१-८२ एवं सं० १४५, १८९५-१९०२) । धर्म को 'श्रेयोभ्युदयसाधन' कहा गया है । उपनयन, विवाह, गर्भाधान आदि संस्कारों, पंचमहायज्ञ, पाकयज्ञ, हवियंज्ञ, सोमयाग, सर्वसाधारण नियमों, चारों वर्णों, वानप्रस्थ, यति एवं राजधर्म के कर्मों का सार दिया गया है। दे० हेमाद्रि ( ३|२| ७४६ ) । इण्डि० आ० ( जिल्द ३, पृ० ३८६ ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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