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धर्मशास्त्रीय ग्रन्थसूची
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प्रासादप्रतिष्ठादीषिति - ( राजधर्म कौस्तुभ का अंश) बह्न चाह्निक- रामचन्द्र के पुत्र कमलाकर के द्वारा । उसके प्रायश्चित्तरत्न का उ० है ।
अनन्तदेव द्वारा । दे० प्रक० १०९ । प्रासादशिवप्रतिष्ठाविधि - कमलाकर द्वारा । दे० प्रक० बादरायणस्मृति - प्रायश्चित्तमयूख एवं नीतिवाक्यामृत की टी० में उल्लिखित । बार्हस्पत्यमुहूर्त विधान ।
बार्हस्पत्यस्मृति --- हेमाद्रि द्वारा व० । बार्हस्पत्य संहिता - गर्भाधान, पुंसवन, उपनयन एवं अन्य संस्कारों के मुहूर्ती तथा शकुनों पर । वीरमित्रोदय
( लक्षणप्रकाश, पृ० ३५६ ) ने गद्य एवं पद्य में हाथियों के विषय में इसका उद्धरण दिया है।
प्रेतमञ्जरी --- ( या प्रेतपद्धति ) द्यादुमिश्र द्वारा । बार्हस्पत्यसूत्र -- पंजाब सं० सी० में प्रका० । नीतिसर्वस्व
१०६ ।
प्रेतकृत्यनिर्णय | प्रेतकृत्यादिनिर्णय --- अज्ञात ।
प्रेतप्रदीपका - गोपीनाथ अग्निहोत्री द्वारा ।
प्रेतप्रदीप कृष्णमित्राचार्य द्वारा ।
प्रेतमञ्जरी --- दे० ह० प्र० ( १७ ), पाण्डु० की तिथि १७०७ ई० है ।
अलवर (सं० १४०३ ) । प्रेतमुक्तिवा -- शेमराज द्वारा ।
प्रेतश्राद्ध व्यवस्थाकारिका -- स्मार्तवागीश द्वारा । प्रौढ मताजमार्तण्ड -- ( या कालनिर्णयसंग्रह) प्रतापरुद्रदेव द्वारा दे० प्रतापमार्तण्ड ।
फलप्रदीप -- नृसिंह के प्रयोगपारिजात में उल्लिखित । सम्भवतः केवल ज्योतिष ग्रन्थ है । फलाभिषेक |
बभ्रुस्मृति - पराशरमाधवीय में व० ।
बलवेवाह्निक- महाभारत से संगृहीत ।
बहससूत्र |
बहिर्मातृका ।
बहिर्यागपूजा ।
बह्न चकारिका - नि० सि० में व० । बह्न. कर्मप्रयोग -- ( शाकल के अनुसार ) नो० (जिल्द १०, पृ० ५) ।
बह्न. चगृह्यकारिका -- शाकलाचार्य द्वारा । दे० बर्नेल, तंजौर कैटलाग ( पृ० १४ बी) । यह उपर्युक्त ही है। समयमयूख में व० ।
बह्न गृह्यपरिशिष्ट - हेमाद्रि, रघु० एवं नि० सि० में उल्लिखित ।
बहू चश्राद्धप्रयोग । बह्वचषोडशकर्ममन्त्रविवरण । बहु चसन्ध्यापद्धतिभाष्य ।
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नाम भी है।
बालबोधक - आनन्दचन्द्रकृत प्रायश्चित्त पर ४६ श्लोकों में। बालमरणविधिकर्तव्यता ।
बालम्भट्टी -- लक्ष्मी देवी द्वारा। आचार, व्यवहार एवं प्रायश्चित्त पर । घरपुरे द्वारा प्रका० । घरपुरे ने व्यवहार के अंश का अनुवाद किया है। दे० प्रक० १११ ।
बालाक्य - नृसिंहप्रसाद ( दानसार ) में व० । बालावबोधपद्धति - शांखायनगृह्यसूत्र पर । बाष्कलस्मृति-- मिताक्षरा (याज्ञ० ३।५८) द्वारा व० । बुद्धिप्रकाश -- रघु० द्वारा उल्लिखित ।
बुधभूषण -- शम्भु राजद्वारा ( महाराज शिवाजी के पुत्र ) । १६८०-१६८९ ई० । राजनीति आदि पर गवर्नमेण्ट ओरिएण्टल सी० ( पूना, १९२६) द्वारा प्रका० ।
बुषस्मृति - एक पृष्ठ का (पद्य में) निबन्ध । ड० का ० पाण्डु० (सं० २०७ ), १८८१-८२ एवं सं० १४५, १८९५-१९०२) । धर्म को 'श्रेयोभ्युदयसाधन' कहा गया है । उपनयन, विवाह, गर्भाधान आदि संस्कारों, पंचमहायज्ञ, पाकयज्ञ, हवियंज्ञ, सोमयाग, सर्वसाधारण नियमों, चारों वर्णों, वानप्रस्थ, यति एवं राजधर्म के कर्मों का सार दिया गया है। दे० हेमाद्रि ( ३|२| ७४६ ) । इण्डि० आ० ( जिल्द ३, पृ० ३८६ ) ।
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