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धर्मशास्त्र का इतिहास प्रायश्चित्सकुतूहल-गणेशभट्ट के पुत्र एवं अनन्तदेव के प्रायश्चित्तनिरूपण-भवदेव भट्ट द्वारा। दे० प्रक० ७३ । शिष्य रघुनाथ द्वारा। स्टीन (पृ० ९६), हुल्श (३, इसे प्रकरण भी कहा गया है। पृ० ५६) । श्रौत एवं स्मार्त प्रायश्चित्तों पर। लग० प्रायश्चित्तनिरूपण-रिपुञ्जय द्वारा। कलकत्ता में १६६०-१७०० ई०।
बंगला लिपि में मुद्रित (१८८३ ई०)। प्रायश्चित्तकृतहल-रामचन्द्र द्वारा। शूलपाणि के प्राय- प्रायश्चित्तनिर्णय-अनन्तदेव रा। श्चित्तविवेक पर आधारित। नो० (जिल्द १०, प्रायश्चित्तनिर्णय-गोपाल न्यायपंचानन द्वारा। रघु० पृ० १९७) ।
के ग्रन्थ का सार। प्रायविधत्तकौमुदी-(उर्फ प्रायश्चित्तविवेक) कृष्णदेव प्रायश्चित्तपटल। ' स्मार्तवागीश द्वारा।
प्रायश्चित्तपति--कामदेव द्वारा। पाण्डु० सन् १६६९ प्रायश्चित्तकोमुवी--(उप० प्रायश्चित्तटिप्पणी) राम- में उतारी गयी। औफेस्ट (२९३ ए)। कृष्ण द्वारा।
प्रायश्चितपद्धति-हेमाद्रि के पुत्र जम्बूनाथ सभाधीश प्रायश्चित्तपत्रिका-रामेश्वर के पुत्र महादेवात्मज द्वारा। चार पटलों में।
दिवाकर द्वारा। रामेश्वर की उपाधि 'काल' है। प्रायश्चित्तपद्धति--सूर्यदास के पुत्र रामचन्द्र द्वारा। प्रायश्चित्तचन्द्रिका-मुकुन्दलाल द्वारा।
प्रायश्चित्तपारिजात-गणेशमिश्र महामहोपाध्याय प्रायश्चित्तचन्द्रिका-भैयालवंश के रमापति द्वारा। द्वारा। प्रायश्चिसचन्द्रिका-राधाकान्तदेव द्वारा।
प्रायश्चित्तपारिजात-रत्नपाणि द्वारा। कामधेनु का प्रायश्चित्तचन्द्रिका-विश्वनाथ भट्ट द्वारा। दिवाकर उल्लेख है। नो० (जिल्द ६, पृ० ३००) ।
को प्रायश्चित्तचन्द्रिका में एवं स्मार्तप्रायश्चित्तोद्धार प्रायश्चित्तप्रकरण-स्टीन (१० ९६, ३१०)। में उल्लिखित।
प्रायश्चित्तप्रकरण--भट्टोजि द्वारा।। प्रायश्चित्तचिन्तामणि--वाचस्पति मिश्रद्वारा । दे०प्रक० प्रायश्चित्तप्रकरण-भवदेव बालबलभीभुजंग द्वारा। ९८।
दे० प्रक० ७३। प्रायश्चित्ततत्त्व-रघुनन्दनकृत। दे० प्रक० १०२। प्रायश्चित्तप्रकरण-रामकृष्ण द्वारा।
जीवानन्द द्वारा प्रका० । टी० काशीनाथ तालंकार प्रायश्चित्तप्रकाश--बलभद्र के पुत्र प्रद्योतनभट्टाचार्य का। द्वारा। कलकत्ता में १९०० में प्रका० । टी० राधा- प्रायश्चित्तप्रदीप--स्मृतिकौर तुभ (तिथि पर) द्वारा मोहन गोस्वामी द्वारा (बंगला लिपि में कलकत्ता में उल्लिखित। मुद्रित, १८८५); लेखक कोलबुक का मित्र, चैतन्य प्रायश्चित्तप्रदीप--केशवभट्ट द्वारा। का अनुयायी एवं अद्वैतवंशज था। टी० आदर्श, प्रायश्चित्तप्रदीप--गोपालसूरि द्वारा। बीकानेर (पृ० निष्णराम सिद्धान्तवागीश द्वारा।
१३७) के अनुसार, किन्तु ऐसाप्रतीत होता है कि प्रायश्चित्तप्रवाप - द्रदेव के प्रतापनारसिंह द्वारा व०। गोपालसूरि बीवायनप्रीत के एक भाष्यकार हैं, १७०० ई. के पूर्व।
जिसका लेखक श्रीतप्रायश्चित्त का अनुसरण करता प्रायश्चित्तदीपिका-भास्कर द्वारा। प्रायश्चित्सवीपिका--राम द्वारा।
प्रायश्चित्तप्रदीप---पन्यवंश के प्रेमनिधि द्वारा। १६७५ प्रायश्चित्सवीपिका--वैद्यनाथ के पुत्र लोकनाथ द्वारा सं० (शक) में प्रणीत। बड़ोदा (सं० १४९०) । (उसके सकागमसंग्रह से)।
प्रायश्चित्सप्रदीप--वेंकटाधीश के शिष्य वरदाधीश यज्वा प्रायश्विसदीपिका-वाहिनीपति द्वारा।
द्वारा।
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