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धर्मशास्त्र का इतिहास
नीतिशास्त्रसमुच्चय।
पंचकालक्रियावीप-वैष्णव आह्निक पर। नीतिसमुच्चय।
पञ्चक्रोशसंन्यासाचार। नीतिसार---घटकर्पर का कहा गया है।
पञ्चक्रोशयात्रा--शिवनारायणानन्द तीर्थ द्वारा। नीतिसार--शुक्राचार्य का कहा गया है।
पञ्चगव्यमेलनप्रकार। नीतिसारसंग्रह--मधुसूदन द्वारा।
पञ्चर्गोंडब्राह्मणजाति। नीतिसुमावलि---अप्पा वाजपेयी द्वारा।
पञ्चत्रिशच्छलोको-श्राद्धपद्धति । नीराजनप्रकाश--जयनारायण तर्कपञ्चानन द्वारा। पञ्चदशकर्म---(शौनककारिका के अनुसार) १५ नीलवृषोत्सर्ग--अनन्त भट्ट द्वारा।
मुख्य संस्कारों पर। नीलोत्सर्गपद्धति।
पञ्चद्राविडजाति। नीलोद्वाहपद्धति--श्राद्ध में वृषोत्सर्ग के कृत्य पर। पञ्चमहायज्ञप्रयोग। इण्डि • आ० (पृ० ५७८, सं० १६४८= १५९१-२ पञ्चमाश्रमविधि-शंकराचार्य कृत कहा गया है।
परमहंस नामक पांचवें स्तर के विषय में, जब कि नूतनप्रतिष्ठाप्रयोग।
संन्यासी अपना दंड एवं कमण्डल त्याग देता है और नूतनमूर्तिप्रतिष्ठा--नारायण भट्ट कृत (आश्वलायनगृह्य- बालक या पागल की भाँति घूमता रहता है। नो०
परिशिष्ट पर आधारित)। बड़ोदा (सं० ८८७६)। (जिल्द १०, पृ० ३२९)। नसिहजयन्तीनिर्णय--गोपालदेशिक द्वारा।
पञ्चमीव्रतोद्यापन। नृसिंहपरिचर्या--नि० सि० एवं अनन्त के स्मृतिकौस्तुभ पञ्चलक्षणविषि। में व०।
पञ्चविधान-संस्कार, अधिवास, उद्वासन, पंचाग्निनसिंहपरिचर्या--रामाचार्य के पुत्र कृष्णदेव द्वारा सावन, जलवासविधि पर। (स्टीन, पृ० २२२)।
पंचसंस्कार---आठ अध्यायों में। बड़ोदा (सं० नृसिंहपूजापद्धति---वृन्दावन द्वारा।
१२३५५)। नृसिंहप्रसाद---वल्लभ के पुत्र दलपतिराज द्वारा। दे० पंचसंस्कारदीपिका--सुरेन्द्र के शिष्य विजयीन्द्रभिक्षु प्रक० ९९।
द्वारा। मध्वाचार्य के सिद्धान्तानसार वैष्णवपद्धति हाधिमहोदधि--आचाररत्न में व०।
(तापः पुण्ड्र तथा नाम मन्त्रो यागश्च पञ्चमः । अमी नृसिंहार्चनपद्धति--ब्रह्माण्डानन्दनाथ द्वारा।
हि पञ्च संस्काराः परमैकान्त्यहेतवः ।।)। नैमित्तिकप्रयोगरत्नाकर--प्रेमनिधि द्वारा।
'पंचसंस्कारविधि---सभी श्रीवैष्णवों के लिए। नौकादान।
पंचसूत्रीविधान-:-जयसिंहकल्पद्रुम से। न्यायदीपिका----अभिनवधर्मभूषणाचार्य द्वारा। पंचाग्निकारिका--प्रयोगचन्द्रिका में व०। न्यायरत्नमालिका--(या न्यायमातृका) दे० जीमूत० पंचायतनपद्धति-भारद्वाज महादेव के पुत्र दिवाकर की व्यवहारमातृका।
द्वारा (सूर्य ,शिव, गणेश, दुर्गा एवं विष्णु के पंचायतन न्यासपद्धति--त्रिविक्रम द्वारा।
पर)। दे० सूर्यादिपंचायतनप्रतिष्ठापद्धति। पञ्चकविधान।
पंचायतनपूजा। पञ्चकविधि-- (जब चन्द्र धनिष्ठा से रेवती तक पंचायतनप्रतिष्ठापद्धति--महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा
किसी नक्षत्र में रहता है उस समय मरने पर कृत्य)। सम्भवतः यह पंचायतनपद्धति है। पंचकशान्तिविधि--मवसूदन गोस्वामी द्वारा। पंचायतनसार-पूर्त दिनकरोद्योत में व०।
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