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________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची पुत्र श्रीधर द्वारा । कात्यायन पर आधृत । श्रीधरपद्धति नाम भी है । ड० का० (सं० २२८, १८८६९२; नं० ११९, १८८४-८५.) तिथि सं० १४३४ ( १३७७-७८ ई० ) । नित्यकर्मप्रकाशिका - कुलनिधि द्वारा । नित्यकर्मलता - धर्मेश्वर के पुत्र धीरेन्द्र पंचीभूषण द्वारा । नित्यदानाविपद्धति -- शामजित् त्रिपाठी द्वारा । महार्णव उ० है । नित्यस्नानपद्धति कान्हदेव द्वारा (बड़ोदा, सं० ४०११) नित्याचारपद्धति --- गोपालानन्द द्वारा । नित्याचारपद्धति -- शम्भुकर के पुत्र विद्याकर वाजपेयी द्वारा (बिब्लि० इण्डि० द्वारा प्रका० ) । वाजसनेयशाखा के लिए । १३५०-१५०० ई० के बीच । नित्याचारप्रदीप - मुरारि के पुत्र एवं धराधर के पौत्र एवं विघ्नेश्वर के शिष्य कोत्सवंश के नरसिंह वाजपेयी द्वारा । काशी में आकर बसे थे, कुल उत्कल से आया था । कल्पतरु, प्रपंचसार, माघवीय को उ० करता है । १४०० ई० के उपरान्त ( बिब्लि० इण्डि०, पृ० १-७२५ द्वारा प्रका० ) । (उद्धरण ३२२) । अलवर नित्यादर्श -- कालादर्श ( आदित्यभट्टकृत ) में व० । नित्यानुष्ठानपद्धति - बलभद्र द्वारा । निबन्धचूडामणि -- यशोधर द्वारा ( बीकानेर, पृ० ३२२) । ६२ अध्यायों में शान्तिकर्मों का विवरण है | निबन्धन -- सरस्वतीविलास में व० । निबन्धनवनीत-- रामजित् द्वारा । सामान्यतिथिनिर्णय, व्रतविशेष निर्णय, उपाकर्मकाल एवं श्राद्धकाल नामक चार आस्वादों में विभक्त । अनन्तभट्ट, हेमाद्रि, माधव एवं निर्णयामृत प्रामाणिक रूप में उल्लिखित हैं। ड० का० (सं० १०२, १८८२-८३; पाण्डु ० सं० १६७३ में ) । लग० १४००-१६०० ई० के मध्य में। निबन्धराज - दे० 'समयप्रकाश' के अन्तर्गत । निबन्धशिरोमणि - नृसिंह द्वारा (बड़ोदा, सं० ४०१२ एवं १२४ Jain Education International १५६३ ९२१२) । संस्कारों, बार, नक्षत्र आदि ज्योतिष के विषयों पर, अनुपनीतधर्म, कर्मविपाक पर एक विशाल ग्रन्थ । निबन्धसर्वस्व श्रीपति के पुत्र महादेव द्वारा | दे० प्रायश्चित्ताध्याय । इसी नाम का एक ग्रन्थ नृसिंहप्रसाद में व० है । निबन्धसार - श्रीनाथ के पुत्र वचिय द्वारा । आचार, व्यवहार एवं प्रायश्चित्त के तीन अध्यायों में एक विशाल ग्रन्थ । ४० का० (सं० १२३, १८८४-८६ ) तिथि सं० १६३२ । धर्मप्रवृत्ति में व० । निबन्धसिद्धान्तबोध - गंगाराम द्वारा । निर्णयकौस्तुभ - विश्वेश्वर द्वारा। रघुनन्दन द्वारा एवं संस्कार भास्कर में शंकर द्वारा व० । निर्णयचन्द्रिका - नारायण भट्ट के पुत्र शंकरभट्ट द्वारा । निर्भयचिन्तामणिविदुर के पुत्र, गोभिल गोत्र के वैश्य श्री राजजालमदास के कहने पर, विष्णुशर्मा महायाज्ञिक द्वारा । स्टीन ( पृ० ३०८, मलमास पर एक अंश है ) । निर्णयतस्व - शिव के पुत्र 'नागदैवज्ञ द्वारा। आचारमयूख में उद्धृत आचारप्रदीप के लेखक । १४५० ई० के पूर्व (अलवर, सं० १२५६ ) । निर्णयतरणि । निर्णयदर्पण - गणेशाचार्य द्वारा (सेन्ट्रल प्राविसेज कैट लाग, सं० २५९९) । निर्णयदर्पण - तारापति ठक्कुर के पुत्र शिवानन्द द्वारा । श्राद्ध एवं अन्य कृत्यों पर । निर्णयदीप - नि० सि० एवं लक्ष्मण के आचाररत्न में व० । निर्णयदीपक - वत्सराज के तीन पुत्रों में एक एवं भट्टविनायक के शिष्य अचल द्विवेदी द्वारा । ये वृद्धपुर के थे और नागर ब्राह्मणों की मडोड शाखा के थे । इनका विरुद था भागवतेय । इस ग्रन्थ के पूर्व इन्होंने ऋग्वेदोक्त महारुद्रविधान लिखा था । यह ग्रन्थ श्राद्ध, आशौच, ग्रहण, तिथिनिर्णय, उपनयन, विवाह, प्रतिष्ठा की विवेचना उपस्थित करता है। इसकी समाप्ति सं० १५७५ की ज्येष्ठ कृष्णद्वादशी (१५१८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
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