SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 568
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मशास्त्रीय प्रत्वसूची धर्मविवेचन--रामशंकर के पुत्र रामसुब्रह्मण्य शास्त्री धर्मानुबन्धिश्लोक-कृष्णपण्डित द्वारा। टी. राम द्वारा। पण्डित द्वारा। धर्मशास्त्रकारिका। धर्माधर्मप्रबोधिनी–इन्द्रपति क्कुर के पुत्र प्रेमनिधि धर्मशास्त्रनिबन्ध-फकीरचन्द्र द्वारा। ठक्कुर द्वारा। लेखक निजामशाह के राज्य में माहिधर्मशास्त्रसंग्रह-श्राद्ध पर स्मृति-वचनों का संग्रह। ष्मती का वासी था, किन्तु उसने सं० १४१० (१३५३बी० बी० आर० ए० एस्. (पृ. २१९, सं० ५४ ई०) में मिथिला में अपना निबन्ध संगृहीत किया। ६९२)। आह्निक, पूजा, श्राद्ध, आशौच, शुद्धि, विवाह, धार्मिक धर्मशास्त्रसंग्रह-वैद्यनाथ एवं लक्ष्मी के पुत्र बालशर्म- दानों, आपवर्म,वैकल्पिक भोज,तीर्थयात्रा,प्रायश्चित्त, पायगुण्डे द्वारा। इण्डि० आ० (पृ० ५४८)। दे० कर्मविपाक, सर्वसाधारण के कर्तव्य पर १२ अध्यायों प्रक० १११ । लग० १८०० ई०। में। दे० नो० (जिल्द ६, पृ० १८-२०) । महाधर्मशास्त्रसर्वस्व-भट्टोजि। १६००-१६५० ई०। महोपाध्याय चक्रवर्ती (जे० ए० एस० बी०, १९१५ धर्मशास्त्रसुधानिषि-दिवाकरकृत। १६८६ ई० में ई०, पृ० ३९३-३९३) के मत से सं० १४१० शक प्रणीत । दे० 'आचारार्क'। है, क्योंकि मिथिला में विक्रम सं० प्रचलित नहीं धर्मसंहिता--(या धर्मस्मृति) जीमूत० के कालविवेक । था। किन्तु यह युक्तिसंगत नहीं है। में व.। धर्माधर्मव्यवस्था। धर्मसंग्रह-नारायणशर्मा द्वारा। धर्मावबोध-रामचन्द्र द्वारा। धर्मसंग्रह-हरिश्चन्द्र द्वारा। धर्मामृत-तत्त्वामृतसारोद्धार में वर्धमान द्वारा व० । धर्मसंप्रदायवीपिका-आनन्द द्वारा। सम्भवतः यह कोई ग्रन्थ नहीं है। प्रतीत होता धर्मसार--पुरुषोत्तम द्वारा। पाण्डु • श० सं० १६०७ है कि यह धर्म सम्बन्धी ग्रन्थों की ओर संकेत __ में उतारी गयो, ह०प्र०, पृ० १५।। मात्र है। धर्मसार-प्रभाकर द्वारा। आचारमयूख द्वारा व०। धर्मामृतमहोदधि-अनन्तदेव के पुत्र रघुनाथ द्वारा। १६०० ई० के पूर्व। धर्माम्भोषि—यह अनूपविलास ही है। धर्मसारसमुच्चय---यह 'चतुर्विशतिस्मृतिधर्मसारसमु- धर्मार्णव-काश्यपाचार्य के पुत्र पीताम्बर द्वारा। दे० ज्चय ही है। बीकानेर, पृ० ३८३ (तिथिनिर्णय पर), पाण्डु. पर्नसारसुधानिषि-दिवाकर काल की आह्निकचन्द्रिका १६८१ ई० की है। एवं भट्टोजि द्वारा चतुर्विशतिमत की टी० में व० । दे० धवलनिबन्ध-नारायण की अन्त्येष्टिपद्धति में, रघुनन्दन बी० बी० आर० ए० एस० (पृ० २१६)। द्वारा तथा निर्णयामृत में व०। धर्मसिन्धु-(या धर्मसिन्धुसार) काशीनाथ (उर्फ बाबा धवलसंग्रह-जीमूत० के कालविवेक एवं गदाघर के पाध्ये) द्वारा। दे० प्रक० ११२। कालसार में व० । संभवतः धवलनिबन्ध एवं धवलधर्मसिन्धु-मणिराम द्वारा। संग्रह दोनों एक ही हैं। धर्मसुबोधिनी-नारायण द्वारा। विज्ञानेश्वर, माधव धान्याचलादिवानतत्त्व-नो० न्यू० (२, पृ० ८८)। एवं मदनरत्न द्वारा वर्णित । ध्वजोच्छाय-पूर्तकमलाकर से।। धर्मसेतु-(व्यवहार पर) पराशर गोत्र के तिर्मल द्वारा। नक्तकालनिर्णय । विज्ञानेश्वर उ० हैं। नक्षत्रयोगदान। पर्मसेतु-रघुनाथ द्वारा। एक विशद ग्रन्थ । मात्रविमान। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy