SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 553
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मशास्त्र का इतिहास तडागप्रतिष्ठा। १५वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में । व्यवहारकोश में । तडागाविपति--टोडरमल्ल द्वारा (टोडरानन्द का एक उनके दण्डविवेक का उल्लेख है। भाग)। तत्त्वार्थकोमुदी-गोविन्दानन्द कविकंकणाचार्य द्वारा। तडागाविप्रतिष्ठापति-धर्मकर उपाध्याय द्वारा। शूलपाणि के प्रायश्चित्तविवेक की एक टीका तडागाविप्रतिष्ठाविषि-मधुसूदन गोस्वामी द्वारा। (जीवानन्द द्वारा प्रका०)। तडागोत्सर्गतस्व-रघुनन्दन द्वारा। तस्वार्थदीप। तत्त्वकौमुदी-गोविन्दानन्द कविकङ्कणाचार्य द्वारा। तन्त्रप्रकाश-आह्निकतत्त्व में रघु० द्वारा व०। यह शूलपाणि के श्राद्धविवेक पर एक टीका है। तन्त्रसारपंचरत्न-इसकी टी० का नाम तन्त्रसारतस्वकौस्तम--भदोजिदीक्षित द्वारा (बड़ोदा,सं०३७६) प्रकाशिका है। केलदी वेंकटेश के आदेश से लिखित। तन्त्राधिकार, तप्तमद्राखण्डन-अप्पयदीक्षित द्वारा (शरीर पर तप्तमुद्राधारण एवं लिंगधारण के प्रश्नों पर एक चिह्नाङ्कन के विरोध में, जैसा कि वैष्णव करते हैं)। निबन्ध। तप्तमुद्राधारण-(या चक्रमीमांसा) स्मृतिकौस्तुभ से। तस्वदीप-त्र्यम्बक द्वारा। तप्तमुद्राविवाद-भास्करदीक्षित द्वारा। तस्वनिर्णय-महामहोपाध्याय वटेश्वर के पुत्र पक्षधर तप्तमधाविक हरिराय गोस्वामी द्वारा। बडोदा द्वारा। दे० मित्र, नो० (जिल्द ५, पृ० १५५)। (सं० ११५७५)। पाण्डु० शक १६६१ में उतारी गयी। तर्पणचन्द्रिका--रामचरण द्वारा। तस्वरकाश-दे० 'शिवतत्त्वप्रकाशिका।' तारकोपवेशव्यवस्था--अमृतानन्द तीर्थ द्वारा। तस्वमुक्तावली-दे० बी० बी० आर० ए० एस० (पृ० तिथिकल्पद्रुम-कल्याण द्वारा। २१७, सं० ६८७) । सम्भवतः निम्नोक्त ग्रन्थ। तिशिकौस्तुभ--(या तिथिदीधितिकौस्तुभ) आपदेव के टी०, दे० वही। पुत्र अनन्तदेव द्वारा। तत्त्वमुक्तावली-नन्दपण्डितकृत। दे० प्रक० १०५। तिथिचक-विश्वनाथ द्वारा। बड़ोदा (सं० ८३३६) । इसमें उनके स्मृतिसिन्धु का सारांश है। टी० तिरन्द्रिका--पक्षधर मिश्र द्वारा। बिहार, जिल्द १, 'बालभषा', बालकृष्ण द्वारा। टी. 'बालभषा', सं० १४५, पाण्ड० ल० सं० ३४५ (१४६४ ई.) वेणीदत्त द्वारा। में उतारी गयी। तरवसंग्रह-कोनेरिभट्ट द्वारा। तिषिचन्द्रिका-हरिदत्त मिश्र द्वारा। तस्वसागर-हेमाद्रि द्वारा एवं एकादशीतत्त्व तथा तिषिचनोवय-अहल्याकामधेनु में व०। तिथितत्त्व में रघुनन्दन द्वारा तथा आचारमयूख में तिषितस्व-रघुनन्दन द्वारा। टी० काशीराम तर्काव०॥ लंकार द्वारा; नो० न्यू० (१, पृ० १५५) । टी० तत्वसार-रघु. के मलमासतत्त्व में व०। काशीराभ वाचस्पति द्वारा; नो० न्यू (२, पृ०७१)। तत्त्वसारसंहिता-हेमाद्रि द्वारा व०। टो० रामचरण विद्यावाचस्पति द्वारा; नो० न्यू० तत्वामृतधर्मशास्त्र-दे० 'स्मृतितत्त्वामृत'। (२, पृ० ७२)। तस्वामृतसारोबार-वर्षमान द्वारा। उनके स्मृतितत्त्व- तिपितत्त्वचिन्तामणि-महेश ठक्कुर द्वारा (बनारस में विवेक या तत्त्वामृत का संक्षेप; आचार, श्राद्ध, मुद्रित, १८८७ ई०)। शुद्धि एवं व्यवहार नामक चार कोशों में विभक्त। तिषितस्वसार-आपदेव द्वारा। मिथिला के राजा राम के शासन काल में प्रणीत। तिषिवर्पण। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002791
Book TitleDharmshastra ka Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPandurang V Kane
PublisherHindi Bhavan Lakhnou
Publication Year1973
Total Pages652
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy