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________________ १-२ स्मृति संदर्भ वतीय भाग याज्ञवल्क्य स्मृति याज्ञवल्क्य स्मृति में तीन अध्याय हैं। प्रथमाध्याय में संस्कार आश्रम, ग्रह शान्ति आदि, द्वितीयाध्याय में राजधर्म, व्रतधर्म राजसभा, वादिप्रतिवादि का निर्णय, व्यवहार के भेद, गृहस्थ धर्म, दण्दनीति, दायभाग आदि, तृतीयाध्याय में सूतक, अशौच, पाप, पापों का प्रायश्चित्त, वानप्रस्थ और संन्यास के धर्मों का वर्णन है। १. आचाराध्यायः-उपोद्घात प्रकरण वर्णनम् : १२३५ उस देश का वर्णन जहां वर्णाश्रम धर्म का विधान है। धर्म का लक्षण, धर्मशास्त्र प्रणेता मनु आदि बीस धर्मशास्त्र प्रणेताओं के नाम और धर्म की परिभाषा ब्रह्मचारिप्रकरण वर्णनम् : १२३६ चार वर्ण जिनके संस्कार गर्भाधान से अन्तिम दाह संस्कार तक होते हैं १० संस्कारों के नाम तथा किस समय में कौन-कौन संस्कार करने चाहिए ११-१५ शौचाचार, ब्रह्मचारी के नियम, गुरु आचार्य की पूजा, वेदाध्ययन काल, गायत्री मन्त्र जप, नित्यकर्म, उपनयन काल की पराकाष्ठा, काल निकलने से ब्रात्यता आ जाती है अर्थात् संस्कार हीन हो जाता है ब्रह्मचारी को यज्ञ, हवन, पितरों का तर्पण और नैष्ठिक ब्रह्मचारी को आजीवन गुरु के पास रहने का विधान ४०-५१ विवाह प्रकरण वर्णनम् : १२४० । ब्रह्मचर्य के बाद विवाह करने की आज्ञा और कन्या तथा वर के लक्षण ५२-५६ ३-६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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