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________________ बाज्ञवल्क्य स्मृति ७. स्नानविधि : २२८३ स्नान करने के मन्त्र और स्नान करने की विधि, तर्पणविधि, जयविधि वर्णन ८. प्राणायाम : २३०१ प्राणायाम और प्रत्याहार करने की विधि का वर्णन ६. ध्यानविधि : २३०७ अध्यात्मनिर्णय वर्णन अन्नमहत्त्ववर्णन अध्यात्मवर्णन सूर्योपस्थान की विधि भगवान के ध्यान लगाने का नियम और कुण्डलिनी का ज्ञान ज्ञानं प्रधानं न तु कर्महीनं कर्मप्रधानं न तु बुद्धिहीनम् । तस्माद्वयोरेव भवेतसिद्धिनं कपक्षो विहगः प्रयाति ॥ २६ ॥ गर्वा सर्पिः शनीरस्थं न करोत्यगपोषणम् । निःसृतं कर्मचरितं पुनस्तस्यैवभेषजम् ॥ ३० ॥ एवं सति शरीरस्यः सपिर्वत् परमेश्वरः । बिना चोपासनादेव न करोति हितं नृषुः ॥ ३१ ॥ गायत्री मन्त्र की व्याख्या १०. सूर्योपस्थान : २३२६ ११. योगधर्म : २३२८ आत्मयोग का वर्णन और उसका महत्त्व १२ विद्याविद्यानिर्णय : २३३४ विद्या और अविद्या अर्थात् ज्ञानकाण्ड और कर्मकाण्ड का निदर्शन ब्रह्मोक्तयाज्ञवल्क्यसंहिता १ चतुर्वेदानां शाखा : २३३६ चार वेदों का वर्णन और उनकी शाखाओं का सविस्तार वर्णन Jain Education International १३५ For Private & Personal Use Only १- १२८ १२६-१६० १-५६ १-३१ ३२-६१ ६२-१३४ १३५-१५१ १५२-१६८ १-२० १-५६ १-४६ १-४७ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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