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लघुशङ्खस्मृति लघुशङ्खस्मृति १. इण्टापूर्तकर्मणोःफलाभिधानवर्णनम् : १४०८ इष्टापूर्त का माहात्म्य । गङ्गा में अस्थि प्रवाह का माहात्म्य । पितृ
कर्म गया श्राद्ध का माहात्म्य । एकोद्दिष्ट श्राद्ध न कर पार्वण श्राद्ध करना व्यर्थ है । प्रति सम्वत्सर क्षयाह पर श्राद्ध करने का निर्णय सपिण्डी करने को विधि । पिता जीवित हो तो माता की सपिण्डी दादी के साथ, पिता हो तो पिता के साथ माता का सपिण्डीकरण श्राद्ध न करे। अपुत्र स्त्री पुरुष का पावण श्राद्ध न करे केवल एकोद्दिष्ट करे । संक्षिप्त प्रायश्चित्त का विधान वर्णन किया है
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शङ्खस्मृति
१. ब्राह्मणादिनां कर्म : १४१५ चातुर्वर्ण्य के पृथक्-पृथक् कर्म, यथा ब्राह्मण का यजन-याजन,
अध्ययन-अध्यापनादि, इस प्रकार चार वर्ण के पृथक्-पृथक् कर्मों का वर्णन
२. ब्राह्मणादिनां संस्कार : १४१६ गर्भाधान से उपनयन पर्यन्त संस्कारों का विधान
३. ब्रह्मचर्याद्याचार : १४१८ ब्रह्मचर्य, विद्याध्ययन काल का आचरण तथा आचार्य, गुरु, उपाध्याय
की व्याख्या। माता-पिता गुरु के पूजन का महत्त्व । ब्रह्मचारी के नियम व्रत तथा आचरण
४. विवाहसंस्कार : १४२० आठ प्रकार के विवाहों की विधि का वर्णन
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