SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रन्था नुक्रमणिका पृष्ठ. १-४४ १-७ १०-१२ १२-१७ १७-२१ २२ २३ स्व. बाबू श्री बहादुरसिंहजी सिंघी अने सिंघी जैन ग्रन्थमाला की सरणाञ्जलि प्रास्ताविक वक्तव्य-ग्रन्थमालासंपादक लिखित संपादकीय प्रस्तावना (१) ज्ञानपंचमी माहात्म्यदर्शक कथासाहित्य (२) महेश्वरसूरिओ। (३) 'नाणपंचमी' अने 'भविस्सदत्तकहा' (४) भविष्यदत्त आख्याननो सारांश ) 'भविस्सदत्त कहा'नो सारांश (६) विशेषनामोनुं साम्य (७) विशेषनामो वच्चे भेद (८) वधारानां विशेष नामो (९) स्थळनां नामो (१०) प्रसंगो (११) 'नाणपंचमी कहा' अने तद्गत सुभाषितो (१२) प्राकृतभाषा अने संघ विषेना महेश्वरसूरिना मन्तव्यो (१३) ग्रंथसंपादनमां उपयोगमा लीधेली प्रतिओनो परिचय (१४) पाठांतरो (१५) प्राकृतभाषामां लखायेल जैन कथा साहित्यनो ढूंक परिचय (१६) छंद, भाषा अने कवित्व (१७) आभार दर्शन नाणपंचमी कहा (१) जयसेण कहा (२) नंद कहा (३) भद्दा कहा (४) वीर कहा (५) कमला कहा (६) गुणाणुराग कहा (७) विमल कहा (८) धरण कहा (९) देवी कहा (१०) भविस्सयत्त कहा ग्रंथगत सुभाषितोनी पादसूची ग्रंथगत विशेषनामोनी सूची ग्रंथगत आवश्यक शब्दोनी सूची २३-२४ २४-३५ ३५-४० ४०-४२ ४२ ४२-४४ ४४ ४४ १-७६ २-२० २०-२४ २५-२९ २९-३४ ३४-३९ ३९-४४ ४४-४८ ४९-५३ ५३-५८ ५८-७६ ७७-८० ८१-८४ ८५-८७ नाणपं०६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002786
Book TitleGyanpanchami Katha
Original Sutra AuthorMaheshwarsuri
AuthorJinvijay
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1949
Total Pages162
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy