________________
धर्मोपदेशमाला काव्य-शास्त्रथी विनोद पामता कविओने, तथा साहित्य-रसिक साक्षरोने आ ग्रन्थनी रचना-शैली आनन्दप्रद थवा साथे चातुर्यभयुं उच्च शिक्षण आपवा समर्थ थशे ।
भाषा-विशारदोने, अने भाषा-शास्त्रना अभ्यासी संशोधकोने आ ग्रन्थ-द्वारा भाषाविषयक घणुं जाणवा-शीखवा जेवू मळी शके तेम छे । प्राकृत भाषानो संस्कृत भाषा साथे केवो गंभीर सम्बन्ध छे ? तथा देशी भाषाओ पर केटलो महान उपकार छे ? प्राकृतभाषानुं देशीभाषाओ साथे केटलुं साम्य छे ? प्राचीन प्राकृत भाषामांथी केटला विशाल प्रमाणमां शब्दो अने क्रियापदो ए ज रूपमा अथवा सहज फेरफार साथे आपणी वर्तमान प्राकृतभाषाओ (गूजराती, हिन्दी, मराठी, मारवाडी, माळवी, बंगाली आदि भाषाओ)मां अत्यंत प्राचीन समयथी, वंश-परम्पराथी उतरी आवेल छे ? आवो भाषाओनो घनिष्ठ सम्बन्ध समजवानी, तटस्थ अने तुलनात्मक दृष्टिथी विचारवानी तक तेमने आ ग्रन्थथी सारी रीते मळशे. *व्युत्पत्ति, भाषा-शुद्धि आदिमां पण आथी अनुकूलता थशे ।
* नमूना तरीके अहिं हजार वर्ष पहेलाना आ प्राकृत ग्रन्थमां वपराएला, वर्तमानमा गूजराती वगेरे भाषामां वपराता थोडा समान शब्दो तरफ अम्हे लक्ष्य खेंचीए छीएप्राकृतशब्द गूजराती
पृष्ठ । प्राकृतशब्द गूजराती
पृष्ठ अज्ज (आज) ५४,६६ डाल
(डाळ) आवेजा (आवजे)
१३१ ण्हाण-पोती (न्हावानी पोतडी) आहीरी (आहीरण)
(तुज) उग्घाडेउ (उघाडो)
नत्थि
(नथी) उच्छोडे (छोडे)
३२ नाणयं
(नाणु) उच्छोडिओ (छोज्यो)
३३ नीसरिया (नीसा) एकल्ला (एकला) ११७ पडइ
(पडे) ओल्हवियव्वो (ओल्हववो) १५८ पल्लाण
(पलाण) ओवारणयं (ओवारj)
पुलिया (पोटली) कहेयव्वो (कहेवो)
६७ पुडओ
(पडो) कवडिया (कोडी)
१०३ पुडिया
(पडी, पुडी हिंदी) कोइ (कोई) ४७,५६,६१
(पेट) कुसणिऊण (कसणीने)
(पोट्ट मराठी) २०९ कोत्थलिया (कोथळी)
फाडिऊण (फाडीने) खोडिया (खोडी)
१९१
(बाप)
९३,१५३ गुजरत्ता (गुजरात)
२२७ बाइया (बाई)
९०,९१ गुलिया (गोळी)
(भाई) भाउ
(भाउ मराठी) घर
(घर) चेल्लओ (चेलो) ६२,८२,८३
मामो
(मामो) १०८,११२ छाण (छाण)
२०३ लड्डय (लाडवो)
११८ जगडिजंत (जगडता-कलह करता) १८६ लहइ
५८,६६ जाणिऊण (जाणीने)
लाड
(लाड) १४६,१६० जुवाण (जुवान) ३४,४७, लिंडिया (लिंडी)
२०२ ६२,१८२,२०३ | वद्धाविओ
(वधाव्यो) जोव्वण (जोबन)
६२,६४ वह
(वहु) जोहार (जुहार) १५९,२०१ विट्टलिजिहिसि (वटलाईश)
tillstiliusliilialii
१७७
पोट्ट
बप्प
भाह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org