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________________ *104 जह वण्णाण सेओ जह वंचिओ ति अहयं जह वालुयाए बाला जह वित्थिण्णम्मि सरे जह समिला पब्भट्ठा जह सयलजणियकाणण जह सयलजलिय हुयवह जह सामण्णे धरणी जहणओ तह सव्वे जह सूरमणी जलणं जह सो जाओ जत्थ व जह होइ जलं जणस्स जह होइ मरुत्थली सुं जं असइ ससइ वेयइ जं असुई दुग्गंध जं एक्केणं गहियं जं एवं घरसोक्खं जं एयं ते कहियं जं एस एत्थ राया जं कणयं कणयं चिय जं कह विमुखं भणियं जं कह विमोहमूढेण जं कायव्वं कीरउ जं किंचि एत्थ लो जं किंचि घरे धण्णं जं किंचि तुमं पेच्छसि जं किंपि कह वि कस्स जं किंपि तस्स दुक्खं जं खलपिसुणो अहं जं चंडसोमआई जं चि जिणेहिं भणियं जं चिच्छंति मुणी जं चय कयं तं चेय जं जत्थ तवश्चरणं जं जस्स किं पि विहियं जं जं इटुं लोए जं जं एत्थ णिरुत्तं जं जं एत्थ महग्घं जं जं करे अम्हे जं जं करेंति एए Jain Education International १७८-३० ८१-१७ ३०-३२ ९८-१० २१०-९ २११-६ १७८ - १५ २१० २१ १८४-२ ९८-२२ ५-१५ १७८-३२ १७८-१ ८१ - ३३ ८१-३१ १९१-४ ८८-२९ ७२-४ १८५-२६ ९०-३२ २७१-२ २६५-२३ २६३-१ २००-१९ १९१-७ २३३-६ २१६-२५ १८६-१६ २८१-७ २८०-२० २१७ - ३२ १३६-३१ २१२-१० २६९-३० २६५-१७ २३१-२३ २०२-२९ २४१-४ १९२-५ १९१-३३ कुवलयमाला जं जं करेति पावं जं जं कीरइ ताणं जं जं गुज्झ जं जं जयम्मि जीवं जं जं जयम्मि दुक्खं जं जं जयम्मि भण्णइ जं जं जयम्मि सांर जं जं णराण सोक्खं जं जं दावेइ कलं जं जं परमरहस्सं जं जं पुलाइ जणं जं जं पेच्छसि एयं जं जं पेच्छसि जीयं जं जं भणंति गुरुणो जं जं मह करणिज्जं जं जं से गुज्झयरं जं जं परमप्पा जं जं विरइदु धण जं जणवरेहिं भणिय जं जेण जहिं जइया जं जंण पणईण दिज्जइ कहासु वि सुव्वइ जं णरतिरिक्खदिव्वे जं वदी वि गोदम जंण सुमिणे वि जं तत्थ किंचि अहमं जं तं तित्थम्मि जलं जं तं सुव्वइ लोए जं तुमेहिं पलत्त जं तुह कुलस्स सरिसं जंतेसु के वि पीलंति जं दव्वं अवलंबइ दाणं तं दि जं दिज्जइ तं सारं जपतेण य तइया जे पाच पुव्वक जं पुटुं तं दिज्जइ जं पुण एयं कहिये पुण मस्स अंगडिया जं पुईऍ सुणिज्ज ६९-१२ ११२-२० ८१-३२ २०२-११ ३६-१४ ३५-२७ २१६-३१ ९२-२१ २२-१३ २५०-२५ ७७-१३ २७६-८ २०२-१० ९०-३३ २११-२३ १८७-१५ २०२-२४ ६३-२० २७३-६ २५९-३२ १०६-३१ २३४-२९ २७१-४ २५७-११ १५५ - १६ १४०-५ ४८-३० १५९-२२ २५५-३१ २६६-२८ ३६-२९ २४२-१७ २०४ - १७ २०४-५ २७०-१८ ५६-७ १७५-२१ ५६ -२ ४९-५ ८-७ For Private & Personal Use Only जंबुद्दी रहे जं भणाइ सामी जंभावसव लिउव्वेल्ल जं मज्झ इमं दुक्खं जं मुक्कं तं अंगारियं जं सुपुरिसाण हियए जं सुहुम बायरं वा होइ अधियपावो जा आसि जाजरामरणाई जाइजरामरणावत्त जाइ उम्मत्तमणो जाइ विसुद्धा सि तुमं सुटु दइया जाइ समुद्दाभिमु जाई जाई जाओ जाई तत्थ फलाई जाई भराइँ मण्णे जाई फलर रंजिय जा जा स जाओ जलम्मि णिहओ जाओ धरणीऍ तुमं जाओ पच्छायाव जा काइ कया माया जा जा मुणालपहया होइ जाणय पुच्छं पुच्छइ जा जाहि तूर पसरसु जाणइ काले दाउं जाणइ जाणंति जोगमालं जाणतो खाइ विसं जाणतो तह व अहं जाणामि अज्ज सुमिणे जाणामि कमलमउए जाणामि तेण ते हं जाणामि मए धमियं जाणामि जाणिऊण एयं चिय एत्थ जाणू जस्स भगूढ जाणू जस्स दोसुवि जा पढमपया पत्थिव जा पावइ महिलाणं ९६-१७ १९२-३१ ७७-१९ २२० - १३ ९८४-८ २५५-२३ २७१-१ १८५-२३ १८७-२ २७६-२८ १-१७ २३१-२८ १८१-१२ १२१-२२ २७५-६ ८९ - ३३ २२४-५ १३४-३० १४०-३० २७६- ११ २७६-१२ २८०-२१ २७१-१८ ९४-३० ३४-१६ २४-२३ २२-१६ १५१-८ २०७-१ १३९-२८ २६९-७ २५४-१२ २५०-१८ २६९-८ १३७-२६ ५-६ १२९-२९ २४-४ ६४-२९ २५३ -४ www.jainelibrary.org
SR No.002778
Book TitleKuvalayamala Part 2
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1970
Total Pages368
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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