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________________ वो दुहा व लाहो अव्वो भवणुव्वाओ अव्वो वणमज्झगओ अव्वो विम्हयणीयं अव्वो संपइ एसो अव्वो सो मह मित्तो असणं पाणं वत्थं असमंजसे कार्य असमाही ठणाणं असवायकवलियं मि असिचक्ककों तपहरण असिचक्कस त्तितोमर असुइमलमुत्तपउरे असुइमलरुहिरकद्दम असुइमुत्तमलरुहिर असुइयभायणमेयं असुई इ सरीरं अईओ उप्पण असुई जं असुइअं अपि सुयं भणियं असुर बहु अहं पिसुहं म अस्संजमम्मि विरओ अस्संजमम्मि सत्ता अह इच्छिसि किंचि धणं अह इच्छसि मरणाई अह एए एवं अह एए परमाहम्मिय अह एक्को चिय दोसो अह एक्को चिय दोसो अथ मो अह एरिसम्म काले अह एरिसा मणुस्सा अह एस मह विणीया असो दो अह सो विहु दीवी अह कम्मयतेओभय अह कह वि कम्मविवरेण अह कह व गेहs चिय अह कह वि होइ एक्का Jain Education International ५१-१९ २५९-२३ २६०-७ २७-२० ४२ - १९ ५८-३० २२०-४ २०२-१३ २७२ - २६ २२०-९ ९३-२६ ३७-२९ ४१-४ २५४-३१ ४-३१ २२८-१० १८७-११ २२८-१७ १७६-७ २६९-३१ २५४-२२ २२१-१९ २७२-१४ २७२-२५ १०९ - १४ २७७-३ १९२-१ पज्जसूई अह कुणइ कह वि सद्धं ८८-१२ Fast अकोला २२१-१५ १४२-२७ अह खणमेत्ते चिय अह खरमारुयपहयं अह चिति पत्तो अह चिंतेम जसो मे अह छिंदि पत्ता अह जक्खरक्ख भूया अह जलणतावत वियं अह यरीऍकल लो अह हलंघणतुरिओ अह णिसुयं होइ कह अह तत्थ डज्झमाणा अह तत्थ विणिविणा अह तमिम जायते अह तम्मि दि अह तमि भणिपु अत इमो अह तस्स एस जीवो अह तं उवरिमवत्थं अह ताडे व बालो अह ताण तक्खणं चिय अह ताण दोह faad अह ताण सो वि तुट्टो अह तिहिकरणम्म सु अतिहिकरणम्म सु अह तीए डोहलो सुंदरीऍ १८९-२१ अह तेण ताण भत्तं ३२-११ ८-१६ अह ते तं चइऊणं १४३-२५ अह २४५-२० अह वणिरणुकंपा णरयपाला २४०-८ २२७-१३ ८५-३० १८९ - १४ अह विणरद्धा अह तेसुणिक्खुडेसुं अह तेहिं चिय समिला अह तेहिं विउज्जंतस्स अह तुंगकणयतोरण ९२-३२ २११-३ अह तुंगगोराई ८८-११ अह दलथवणं पि कयं १३१-२१ अह दिणय रणरणा ९३ -१ ३७-३१ १४१-१ ११८-१० २४५-१४ १४३ - १५ ३७-२७ २४-२६ २७-६ २१०-२४ ३८-२० १९१ - २४ १७-२३ ३७-२० ३६-१५ १६४-३१ १८६ -१८ ९३-५ ८१-५ ३८-१९ ९२-३१ २५६-२६ २१-१३ १७-२१ १७-१३ २४५ - १५ १९१-८ ३७-१९ ३७-२१ ३८-८ ३६-१८ २१० - ३ २१९-३० ९७-२ ५० - १९ १७-२० ८२-१७ For Private & Personal Use Only अह धवलका कुसुमो अह परिचिंसि तुमं अह पलयकालजलहर अह पविणि भगवं अह पंचमेण भणियं अह पावणोति इम अह पुच्छसि पुणेहिं अह पुण ते चि अह पुण संगहि यि अण्णा खेल अह पुव्वपओएण अह पेच्छइ तं सव्वं अह पेच्छिउं पयत्ता अह बहलपरिमला अह बंधघावहमार अह बारसम्म वरिसे अह भगवं पि य साहइ अह भणसि कहं असुई अह भणसि आगमेणं अह भणसि तुमं गोदम अह भणसि होज तं पि अह भाणिउं पयन्तो अह मउलियाओ अह मज्झिमया दीहा अह यत्तं पत्तं अहमंत ओह अह मारेइ वि बालो अहमो चिली कम्मो अह रागदाल अह रागदोवसओ अह रे णयाणसि चिय अह ललिक्खर महुरं अहव परिचिंतियं चिय अव पुरंदरस्स अलया अहवा पुच्छयवयणं अहवा भावेण विणा अहवा रमसु म चिय अहवा विजयसभावो अह विमलो चंदमणी अह वेयरणी पत्ता *91 ४६-५ ८१-२६ ३८-४ ९७-१३ २४५ - २८ ४९-२ २५७-५ १९१-२९ १८९-२७ १४२-३१ २८०-१० ९३-१९ २०९-२३ १६-९ १४१-३२ २१-१६ २४५-७ २२८-९ ५५-२९ २५७-१९ ४९ - ३ ९७-२१ ८२ - १४ १२९-२२ २१०-१२ १८६-१७ ८१-६ २२३-३२ २१०-६ २१०-४ ५३-२६ २१-१० ४९-१ ३१-३१ २६८-३३ २७९ - २३ ७८-२१ २१८-१६ ९८-२१ ३७-२५ www.jainelibrary.org
SR No.002778
Book TitleKuvalayamala Part 2
Original Sutra AuthorUdyotansuri
AuthorA N Upadhye
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1970
Total Pages368
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size12 MB
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