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________________ कलकत्ता निवासी साधुचरित-श्रेष्ठिवर्य श्रीमद् डालचन्दजी सिंधी पुण्यस्मृतिर्निमित्त प्रतिष्ठापित एवं प्रकाशित सिंघी जैन ग्रन्थ मा ला [जैन आगमिक, दार्शनिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, कथात्मक - इत्यादि विविधविषयगुम्फित; प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, प्राचीनगूर्जर - राजस्थानी आदि नानाभाषानिबद्ध; सार्वजनीन पुरातन चाय तथा नूतन संशोधनात्मक साहित्य प्रकाशिनी सर्वश्रेष्ठ जैन ग्रन्थावलि . ] प्रतिष्ठाता श्रीमद्-डालचन्दजी - सिंघीसत्पुत्र स्व ० दानशील - साहित्यरसिक - संस्कृतिप्रिय श्रीमद् बहादुर सिंहजी सिंघी SRI BAHADUR SINGHAJI SINGHI प्रधान सम्पादक तथा संचालक आचार्य जिनविजय मुनि ऑनररी मेंबर, जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी ( सम्मान्य नियामक - भारतीय विद्या भवन ) सर्वप्रकार संरक्षक श्री राजेन्द्र सिंहजी सिंघी तथा श्री नरेंद्र सिंहजी सिंघी Jain Education International * प्रकाशक सिंघी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्या भवन, बंबई प्रकाशक - जयन्तकृष्ण, ह. दवे, ऑनररी रजिष्ट्रार, भारतीय विद्या भवन, चौपाटी रोड, बंबई. नं. ७ मुद्रक - लक्ष्मीबाई नारायण चौधरी, निर्णयसागर प्रेस, २६-२८ कोलभाट स्ट्रीट, बंबई For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002776
Book TitleJindattakhyana Dwaya
Original Sutra AuthorSumtisuri
AuthorAmrutlal Bhojak
PublisherSinghi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Publication Year1953
Total Pages122
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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