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________________ 106. पद्मावती : जैन धर्मशाला। 107. धरणेन्द्र पद्मावती (मन्दिर संख्या 24)। 108. धरणेन्द्र पद्मावती : जैन चहारदीवारी। 109. संगीत मण्डली, नृत्य मण्डली, धरणेन्द्र पद्मावती एवं अम्बिका (जैन - चहारदीवारी)। 110. धरणेन्द्र-पद्मावती। 111. चक्रेश्वरी : दशभुजी (मानस्तम्भ क्रमांक 11)। 112. देवी : द्वादशभुजी (मानस्तम्भ क्रमांक 11)। 113. क्षेत्रपाल (मानस्तम्भ क्रमांक तीन)। 114. स्नेही दम्पती (मन्दिर संख्या 4)। 115. पिटता हुआ पुरुष और लजाती हुई नारी : मन्दिर संख्या चार । 116. दर्पण के सहारे ललाटिका ठीक करती हुई सुन्दरी (मन्दिर संख्या 18)। 117. दर्पणधारिणी शुचिस्मिता : मन्दिर संख्या 11। 118. संगीत मण्डली और गोमुख यक्ष : मन्दिर संख्या 12 का अर्धमण्डप। 119. युग्म : स्नेहालिंगन (जैन धर्मशाला)। 120. सम्भोगरत एवं स्नेहालिंगित युग्म (मन्दिर संख्या 11)। 121. स्नेहालिंगन, दाढ़ी आदि (जैन चहारदीवारी)। 122. वैभवसम्पन्न किन्तु विनम्र उपासक (जैन चहारदीवारी)। 312 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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