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________________ 2. अभिलेख-पाठ अभिलेख क्रमांक एक (विक्रम संख्या 919, गुर्जर प्रतिहार शासक भोजदेव के समय का, मं. संख्या 12 के अर्धमण्डप के दक्षिण-पूर्वी स्तम्भ पर उत्कीर्ण) 1. (ओं) परमभट्टारकमहाराजाधिराजपरमेश्वरश्री 2. भोजदेवमहीवर्द्धमान-कल्याणविजयराजे 3. तत्प्रदत्तपंचमहाशब्दमहासामन्तश्रीविष्णु। 4. रामपचिन्दराज्यमध्ये लुअच्छगिरे श्रीशान्त्यायत(न)। 5. (स)निधे श्रीकमलदेवाचार्यशिष्येण श्रीदेवेन कारा6. पितं इदं स्तम्भम् संवत् 919 अस्व (श्व)युजशुक्ल 7. पक्षचतुर्दश्यां बृहस्पतिदिनेन उत्तरभाद्रप 8. दानक्षत्रे इदं स्तम्भं समाप्तमिति।। 0 ।। अभिलेख क्रमांक दो (विक्रम संवत् 1154, राजघाटी में चन्देल शासक कीर्तिवर्मा के मन्त्री द्वारा उत्कीर्ण कराया गया) 1. ॐ नमः शिवाय चान्देल्लवंशकुमुदेन्दुविशालकीर्तिः, ख्यातो बभूव नृप संघनतांघ्रिपद्मः। 2. विद्याधरो नरपतिः कमला-निवासो, जातस्ततो विजयपालनृपो नृपेन्द्रः ॥ (1) तस्माद् धर्मपरश्रीम3. न् कीर्तिवर्मनृपोऽभवत् । यस्य कीर्तिसुधाशुभ्रे त्रैलोक्यं सौधतामगात् ॥ (2) अगदं नूतनं विष्णुमाविर्भूतमवाप्स्य... 4. यम् । नृपाब्धितस्समाकृष्टा श्रीरस्थैर्यममार्जयत्।। (3) राजोडुमध्यगतचन्द्रनिभस्य यस्य नूनं युधिष्ठिर यदा शिवरामच... 284 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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