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________________ की कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) प्रदाता प्रभाकर । 118. ( क ) जैन मन्दिर संख्या 21 में चार फुट दस इंच ऊँची कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । प्रदाता रुद्रवान । 119. (क) उक्त मन्दिर में चन्द्रप्रभ की पद्मासन मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) प्रदाता गुणनन्दी | 120. (क) उक्त मन्दिर में सम्भवनाथ की कायोत्सर्ग मूर्ति । (ख) एक पंक्ति । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) प्रदात्री लालसा । 121. (क) जैन मन्दिर संख्या 22 के प्रवेशद्वार का सिरदल । (ख) एक पंक्ति । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) 'श्री मालव नागत्रात ' केवल इतना अभिलेख उत्कीर्ण है | 122. (क) जैन मन्दिर संख्या 28 में स्थित नौ फुट दो इंच ऊँची कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्ति । (ख) चार पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) इस मूर्ति का निर्माण चतुर्विध संघ के लिए किया गया । 1 123. (क) जैन मन्दिर संख्या 28 की पश्चिमी बहिर्भित्ति । (ख) एक पंक्ति । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ) आषाढ़ बदी त्रयोदशी, संवत् 1496। (ङ) केवल तिथि उत्कीर्ण है । 124. (क) जैन मन्दिर संख्या 30 में स्थित चार फुट पाँच इंच ऊँची कायोत्सर्ग तीर्थंकर मूर्ति का सिंहासन । (ख) एक पंक्ति । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) सहस्रकीर्ति का उल्लेख है। 125. ( क ) जैन मन्दिरों के कोट की उत्तरी दीवार । (ख) पाँच पंक्तियाँ । ( ग ) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) इसमें उल्लेख है कि कुछ पण्डितों ने सामूहिक रूप से एक दानशाला का निर्माण कराया था । 126. (क) जैन मन्दिरों के कोट की उत्तरी दीवार । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) इसमें उल्लेख है कि एक गोष्ठी द्वारा दानशाला का निर्माण कराया गया था । 127. (क) जैन मन्दिरों के कोट की उत्तरी दीवार । (ख) तीन पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) एक गोष्ठी का वर्णन किया गया है । 128. (क) जैन मन्दिरों के कोट की उत्तरी दीवार । (ख) दो पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ ) अज्ञात । (ङ) श्री नेमिदेव पण्डित का वर्णन । 129. (क) जैन मन्दिरों के कोट की उत्तरी दीवार। (ख) तीन पंक्तियाँ । (ग) संस्कृत, देवनागरी । (घ) अज्ञात । (ङ) एक दानशाला का वर्णन । 282 :: देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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