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पृष्ठभूमि
विषय-प्रवेश
( अ ) कला का सांस्कृतिक महत्त्व
'भारत अध्यात्म-प्रधान देश है। यहाँ दर्शन, भाषा, साहित्य, ललित कलाएँ, लोक-जीवन सभी आध्यात्मिकता से अनुप्राणित हैं । भारत में सभ्यता के आदिकाल से धार्मिक भावनाएँ किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रही हैं । धार्मिक भावनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए मन्दिरों और मूर्तियों का निर्माण हुआ। ये मन्दिर केवल पूजा का स्थान और मूर्तियाँ केवल पूजनीय वस्तु ही नहीं हैं, ये ऐतिहासिक अन्वेषण में सहयोगी भी हैं । कदाचित् इसी कारण मन्दिरों और मूर्तियों को 'संस्कृति के अवशेष' के रूप में स्वीकार किया जाता है ।
परम्परा और इतिवृत्त इस तथ्य के प्रबल पोषक हैं कि जैन धर्म भारत के विविध भागों में बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रहा है, अनेक कला-केन्द्र आज भी इसके प्रमाण हैं । ऐसे स्थानों पर प्राचीन संस्कृति और कला के प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं । उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में स्थित देवगढ़ एक ऐसा ही कला - केन्द्र है । (ब) देवगढ़ : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
देवगढ़ की प्रसिद्धि महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केन्द्र के रूप में न रही हो, परन्तु उसका इतिहास प्राचीन है । वहाँ प्रागितिहास काल के कुछ औजार मिले हैं। वर्तमान गिरि-दुर्ग के दक्षिण में, राजघाटी में एक आदिम युगीन गुफा है, जिसमें कुछ चित्र
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1. देखिए - इण्डियन आयलांजी, ए रिव्यू, 1959-60 ई., पृ. 46 और आगे ।
2. गिरिदुर्ग से दक्षिण में एक लम्बे सोपानमार्ग द्वारा बेतवा के जल तक पहुँचते समय 'राजघाटी' मिलती है। इसमें पहाड़ी के किनारे पर की शिलाओं पर अनेक गुफाएँ व देवकुलिकाएँ हैं । 3. एक विशालाकार शिला में काटकर बनायी गयी इस प्राचीन गुफा का अन्तर्भाग 5 फुट 10 इंच लम्बा और 3 फुट 3 इंच चौड़ा है। विस्तृत विवरण के लिए देखिए अगली टिप्पणी ।
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पृष्ठभूमि :: 21
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