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एक्कारसमो उद्देसो
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वंत बडाया जिणगेदा ताण होंति सव्वाणं । पोक्खरणिवावियाओ गिद्दडा तह य णायन्वा ॥ ८३ 1 जंबूदीवो बादइसंडो' पुक्खरवरो य तह दीषो । वारुणिवरै वीरवरो घयधर तह खोदवरदीत्रो' ॥ ८४ णंदीसरो य अरुणो अरुण भासो य कुंडलबरो य । संखवर रुजग भुजगो वर कुसवर कोंचेवरदीयो ॥ ८५ एदे सोलस दीवा णामा एदे हि आणुपुव्वी । तेण परं जे सेसा णामा संखा इर्मा तेसिं ॥ ८६
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दिषाणि यो सुभणामा ते इमेहि णामेहि । दीवा षि य णायव्वा बहुवाँ एक्के कामेहि ॥ ८७ दीवं सयंभुरमणं जंबूदीवादि जाव अरुणंते' । वज्जिय सेसा दीवा सव्वे णामेहि सामण्णी ॥ ८८ जंत्रूदौवे लवणो घादगिसंडम्मि हवदि'' कालोदो । सेसाणं दीवाणं दीवसरिसणामया उदधी ॥ ८९ जंबूदीवादीया दीवा लवणादिया तहा उदधी । जाव दु सयंभुरमणो विष्णेया दीव उदधी य ॥ ९० लवणो कालयसलिलो सयंभुरमणोवही य तिष्णेदे । मच्छीण कुम्मणिलया झसकुम्मविवज्जिया सेसा ॥ ९१ अद्वारसजोयणियों लवणे णवजोयणा गदिमुहेसु । छत्तीसगा य कालोदयग्मि अट्ठारसा नदिमुहेसु ॥ ९२
उन सबके फहराती हुई ध्वजा-पताकाओंसे संयुक्त जिनगृह होते ह । तथा इन जिनगृहों में पुष्करिणियां एवं वापिकायें भी निर्दिष्ट की गई जानना चाहिये ॥ ८३ ॥ जम्बूद्वीप, धातकीखण्ड, पुष्करंवर द्वीप, वारुणिवर, क्षीरवर, घृतवर, क्षौद्रवर द्वीप, नन्दीश्वर, अरुण, अरुणाभास, कुण्डलवर, शंखवर, रुचकवर, भुजगवर, कुशवर और क्रौंचवर द्वीप, ये जो सोलह द्वीप हैं उनके ये अनुक्रम से है । वे द्वीप भी लोकमें द्वीप एक एक ( समान )
नाम हैं । इसके आगे जो शेष द्वीप हैं उनके नाम व संख्या यह जितने शुभ नाम हैं उन नामोंसे सहित जानना चाहिये । बहुतसे नामोंसे संयुक्त हैं ॥ ८४-८७ ॥ जम्बूद्वीपको आदि लेकर स्वयम्भुरमण द्वीप तक अरुण पर्यन्त छोड़कर शेष सब द्वीप नामोंसे समान हैं ( ? ) ॥ ८८ ॥ जम्बूद्वीपमें लवणसमुद्र और धातकीखण्ड द्वीपमें कालोद समुद्र है । शेष द्वीपोंके समुद्र द्वीपके समान नामवाले हैं ॥ ८९ ॥ जम्बूद्वीपको आदि लेकर द्वीप तथा लवण समुद्रको आदि लेकर समुद्र इस प्रकार स्वयम्भुरमण पर्यन्त द्वीप समुद्र जानना चाहिये ॥ ९० ॥ लवणोद, कालोद और स्वयम्भुरमण ये तीन समुद्र मछलियों और कछुओं ( जलचर जीवों ) के आवास रूप हैं; शेष समुद्र मछलियों और कछुओंसे रहित हैं ॥ ९१ ॥ लवण समुद्र में [ मध्यमें ] अठारह योजन व नदिमुखों में नौ योजन, कालोदक समुद्रमें [ मध्यमें ] छत्तीस योजन व नदीमुखोंमें अठारह योजन, तथा स्वयम्भुरमण
१ श दिट्ठा. २ उ घादगिरिसंडो, श धागिरिसंडो ३ उ श वरुणिवर ४ उ श दीवे, बदीउ. ५ उश कुंच. ६ व हमे. ७ क ब बहुगा. ८ श एएक्कक्क. ९ उ जंबूदीवादि जामरुअणंते, श जंबूदीवामरुअणते. १० क ब सावन्ना. ११ उ लवणो भादसंडे य हवदि, श लवणे घादसंज्ञे य हकहि. १२ उश खणो, ब रमणे. १३ उ मच्छाय ( शप्रतौ स्खलितोऽत्र पाठः ) १४ श जोयणणिय.
जं. दी. २५.
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