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________________ श्रेणिक पुराणम् ३३ (१) मिष्ठान्न भक्षणम् : कुमारेभ्यश्च सर्वेभ्यः शर्कराघटवन्दके । दत्ते योन्येनकुंभं तं धारयित्त्वा स्वलीलया ॥ ६ ॥ आगमिष्यति सिंहस्य द्वारं संविश्य सद्गृहं । स भविष्यति राजस्य भोक्ता नात्रविचारणा ॥ १० ॥ उसके जानने का पहला निमित्त तो यह है कि-आपके जितने पुत्र हैं सब पुत्रों को आप एक-एक घड़े में शक्कर भर के दीजिए उनमें जो पुन किसी दूसरे मनुष्य पर उस घड़े को रखकर निर्भय सिंह के द्वार में प्रवेश कर अपने घर में खेलता हुआ चला आवे तो जानिये कि वही पुत्र राज्य का अधिकारी होगा ॥६-१०॥ (२) ओस-जल से घटपूति : पुननिमित्तमाज्ञेय यः प्रपूरयति स्फुटं । कुंभं तृणजलेनैव नूतनं राज्यभाक् स हि ॥ ११॥ दूसरा निमित्त यह है कि आप अपने सब कुमारों को एक-एक नवीन घड़ा दीजिये और उनसे कहिये कि हरएक ओस के जल से उस घड़े को भरकर ले आवे जो पुत्र ओस से घड़े को भर कर ले आवेगा अवश्य वही पुत्र राजा होगा ।।११॥ पुनरस्ति महाभाग निमित्तं निश्चयात्मकं । सर्वेषु च कुमारेषु भोजनार्थं स्थितेषु च ॥ १२॥ एकपंक्तौ प्रभुक्तेषु पायसेषु शुभेषु च । शर्कराघृतपूपादि भोजनेषु वरेषु च ॥ १३ ॥ नानाव्यंजनयुक्तेषु माषान्नमंडकादिषु । करंबकेषु रम्येषु नानास्वादु सुभाविषु ॥ १४ ॥ (३) कुत्तों से भोजन की रक्षा : भुज्यमानेषु भो भूप ! मोक्तव्या मृगदंशकाः । दीर्घदंष्ट्रा महाक रा व्याघ्रा इव मदोद्धताः ॥ १५॥ तान्निवार्य स्वबुद्धया यो भुनक्ति वरभोजनं ।। मगधेशं विजानीहि त्वत्समं नात्रसंशयः ॥ १६ ॥ तीसरा निमित्त यह भी है कि आप अपने सब पुत्रों को एकसाथ भोजन करने के लिए बैठा दीजिये और आप उन पुत्रों को खीर, शक्कर, पूए और दाल-भात आदि सर्वोत्तम स्वादिष्ट पदार्थों को एकसाथ बैठाकर खिलाइये जिस समय वे भोजन के स्वाद में अत्यंत लीन हो जावें उस समय भयंकर दाढ़ीवाले अत्यंत क्रूर तथा बाघों के समान मत्त कुत्तों को धीरे से छुड़वा दीजिए उस समय जो पुत्र उन भयंकर कुत्तों को हटाकर आनन्दपूर्वक निर्भयता से भोजन करेगा वही पुत्र आपके समान इस मगधेश का निःसंदेह राजा हो सकेगा ॥१२-१६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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