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श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम् उपस्थित हो जाते हैं। और धर्म की कृपा से तीर्थंकर पद की भी प्राप्ति हो जाती है। इसलिए उत्तम पुरुषों को चाहिए कि वे निरन्तर धर्म का आराधन करें॥१५६-१९८॥
इति श्री श्रेणिकभवानुबद्धभविष्यत्पद्मनाभपुराणे श्रेणिक चरित्रे भट्टारक श्री शुभचन्द्राचार्य विरचिते क्षायकोत्पतिवर्णनं नाम द्वादशः सर्गः ॥१२॥
इस प्रकार भविष्यतकाल में होनेवाले श्री पद्मनाभ तीर्थकर के जीव महाराज श्रेणिक के चरित्र में भट्टारक श्री शुभचन्द्राचार्य विरचित
महाराज श्रेणिक कोक्षायिक सम्यग्दर्शन की
उत्पत्ति • वर्णन करनेवाला द्वादश सर्ग समाप्त हुआ।
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