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________________ २७२ श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम् तस्थौ मठे महीदेध एकस्मिन्निशिवंचकः । वटुकश्चागतस्तत्र तदा विनतमस्तकः ॥३०७।। भोक्तुं प्रस्थापितस्तेन वटुकः कृपया निशि । कियदंतरमासाद्य व्याघुट्य बटुको जगौ ।।३०८।। कुर्कुराः शब्दवाचालाश्चविष्यंति च मां प्रभो। नयामीति स्थितस्तत्र पर वंचनमानसः ॥३०६।। तदा तद्रक्षणायैव विप्रस्तस्मै ददौ च तां । स आदाय जगामेत्थं वृद्धस्तेन च वंचितः ।।३१०॥ स्वामिस्तस्योचितं नो वा तदा प्राख्यद्यमी हसन् । न युक्तं युक्तमेकं च व्याख्यानं कथयामि वः ॥३११।। कृपानाथ ! ब्राह्मणी का वह काम सर्वथा अयोग्य था। बिना विचारे जो मदान्ध हो काम कर डालते हैं उन्हें पीछे बहुत पछताना पड़ता है। मैं भी पुन: आपको कथा सुनाता हूँ आप ध्यानपूर्वक सुनिये। इसी द्वीप में एक विशाल बनारस नाम की उत्तम नगरी है। किसी समय बनारस में एक सोम शर्मा नाम का ब्राह्मण निवास करता था। सोम शर्मा की स्त्री का नाम सोमा था सोमा अतिशय व्यभिचारिणी थी। पति से छिपाकर वह अनेक कटु दुष्कर्म किया करती थी। किंतु अपने मिष्ट वचनों से पति को अपने दुष्कर्म का पता नहीं लगने देती थी। और बनावटी सेवा आदि कार्यों से उसे सदा प्रसन्न करती रहती थी। कदाचित् सोम शर्मा तो किसी कार्यवश बाहर चला गया और सोमा अपने यार-गोपालों को बुलाकर उनके साथ सुखपूर्वक व्यभिचार करने लगी। किंतु कार्य समाप्त कर ज्यों ही सोमशर्मा घर आया और ज्यों ही उसने सोमा को गोपालों के साथ व्यभिचार करते देखा तो उसे परम दुःख हुआ। वह एकदम घर से विरक्त हो गया। एवं बाँस की लाठी में कुछ सोना छिपाकर तीर्थ-यात्रा के लिए निकल पड़ा मार्ग में वह कुछ दूर पहुँचा था अचानक ही उसकी एक मायाचारी बालक से भेंट हो गई। बालक ने विनयपूर्वक सोम शर्मा को प्रणाम किया। उसका शिष्य बन गया एवं यह विचार कि इस सोम शर्मा के पास धन है वह सोम शर्मा के साथ चल भी दिया। मार्ग में चलते-चलते उन दोनों को रात हो गई इसलिये वे दोनों किसी कुम्हार के घर ठहर गये वहाँ रात बिताकर सबेरे चल भी दिये। चलते समय बालक महादेव के सिर से कुम्हार का छप्पर लग गया और एक तृण उसके सिर से चिपका चला गया। वे कुछ ही दूर गए थे कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002771
Book TitleShrenika Charitra
Original Sutra AuthorShubhachandra Acharya
AuthorDharmchand Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size18 MB
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