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श्रेणिक पुराणम्
रोधनं स्वर्गमार्गस्य दर्शयंत्यश्च दुर्गतिं । ससाहसाः सदा पापाः संति बाला बलोद्धताः ॥२६४॥
इसी लोक में कामदेव का रंगस्थल अतिशय मनोहर एक वंग देश है। वंग देश में एक चंपापुरी नाम की नगरी है। चंपापुरी में जातीय मुकुंद केतकी चंपा आदि के वृक्ष सदा हरे-भरे फले-फूले रहते हैं और सदा उत्तम मनुष्य निवास करते हैं। चंपापुरी में एक ब्राह्मण, जो कि भले प्रकार वेद-वेदांग का पाठी और धनी सोम शर्मा था सोम शर्मा की अतिशय रूपवती दो स्त्रियाँ थीं प्रथम स्त्री सोमिल्ला और दूसरी का नाम सोममिका था। भाग्योदय से सुन्दरी सोमिल्ला के एक अतिशय रूपवान पुत्र उत्पन्न हुआ। सोमिल्ला को पुत्रवती देख सोम शर्मा उस पर अधिक प्रेम करने लगा और सोममिका की ओर से उसका प्रेम कुछ हटने लगा। स्त्रियाँ स्वभाव से ही ईर्ष्या-द्वेष की खानि होती हैं यदि उनको कुछ कारण मिल जाय तब तो ईर्ष्या-द्वेष करने में वे जरा भी नहीं चूकती ज्यों ही सोममिका को यह पता लगा कि मेरा पति मुझ पर प्रेम नहीं करता सोमिल्ला को अधिक चाहता है मारे क्रोध के वह भभक उठी। वह उसी दिन से सोमिल्ला से मर्मभेदी वचन कहने लगी। हास्य और कलह करना भी प्रारम्भ कर दिया यहाँ तक कि सोमिल्ला के अहित करने में भी वह न डरने लगी।
उसी नगरी में एक भद्र नाम का बैल रहता था। भद्र सुशील और शांत प्रकृति का धारक था इसलिये समस्त नगर निवासी उस पर बड़ा प्रेम करते थे। कदाचित् भद्र (बैल) ब्राह्मण सोम शर्मा के दरवाजे पर खड़ा था ब्राह्मणी सोममिका की उस पर दृष्टि पड़ी उसने शीघ्र ही अपनी सौत सोमिल्ला का बालक ऊपर अटारी से बैल के सींग पर पटक दिया एवं सींग पर गिरते ही रोता हुआ वह बालक शीघ्र मर गया।
नगर निवासियों को बालक की इस प्रकार मृत्यु का पता लगा। वे दौड़ते-दौड़ते शीघ्र ही सोम शर्मा के यहाँ आये। बिना विचारे सभी ने बालक की मृत्यु का दोष विचारे बैल के मत्थे पर ही मढ़ दिया। जो बैल को घास आदि खिलाकर नगर निवासी उसका पालन-पोषण करते थे सो भी छोड़ दिया। और मारपीट कर उसे नगर से बाहर भगा दिया जिससे वह बैल बड़ा खिन्न हुआ और बिल्कुल लट गया। तथा किसी समय अतिशय दुःखी हो वह ऐसा विचार करने लगा।
हाय !!! इन स्त्रियों के चरित्न बड़े विचित्र हैं। बड़े-बड़े देव भी जब इनका पता नहीं लगा सकते तो मनुष्य उनके चरित्र का पता लगा लें यह बात अति कठिन है। ये दुष्ट स्त्रियाँ निकृष्ट काम कर भी चट मुकर जाती हैं और मनुष्यों पर ऐसा असर डाल देती हैं मानो हमने कुछ किया ही नहीं ये मायाचारिणी महा पापिनी हैं। दूसरों द्वारा कुछ और ही कहवाती हैं और स्वयं कुछ और ही कहती हैं। ये कटाक्षपात किसी और पर फेंकती हैं इशारे किसी अन्य की ओर करती हैं। और आलिंगन किसी दूसरे से ही करती हैं। तथा वस्तु का वायदा तो इनका किसी दूसरे के साथ होता है और वे किसी दूसरे को बैठती हैं। कवियों ने जो इन्हें अबला कहकर पुकारा है सो ये नाम से ही अबला (शक्तिहीन) हैं काम से अबला नहीं। जिस समय ये कर काम करने का बीड़ा For Private & Personal Use Only
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